फोनी का कहर, महज दो घंटे में उजड़ गया मंदिरों का शहर

पुरी
3 मई 2019, शुक्रवार… सुबह 6 बजे तक मंदिरों का शहर पुरी असामान्य रूप से स्थिर था। यहां के जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों ने रोजाना की तरह विधिवत तौर पर मंदिर के कपाट खोले और पूजा की, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ से खचाखच भरी रहने वाली यह जगह पूरी तरह खाली और शांत थी। अपने पर्यटकों के बगैर यह शहर चक्रवाती तूफान 'फोनी' का इंतजार कर रहा था। महज 2 घंटे में इस शहर में सब कुछ बदल गया। तूफान किसी बुरे सपने की तरह दोपहर तक शहर के ऊपर मंडराता रहा। हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्टर ने इस मंजर को बेहद करीब से देखा।

शुक्रवार को सबुह 7 बजे तक पुरी में समंदर किनारे तक जाना संभव था। इसके कुछ देर बाद ही तेज हवाओं के साथ रेतीली आंधी चली। कुछ ही मिनटों में सब कुछ धुंधला होने लगा। चक्रवात इस किनारे से महज कुछ इंच की ही दूरी पर था। 'बीचफ्रंट होटल' के ग्राउंड फ्लोर से तेज हवाओं की सीटी जैसी आवाज ही एकमात्र ऐसी ध्वनि थी, जिसे सुना जा सकता था। कुछ ही मिनट बाद होटल के कमरे की खिड़की का शीशा झटके के साथ टूट गया।

जैसे-जैसे दोपहर 12:30 बजे तक हवा की गति धीमी पड़ रही थी, चारों तरफ सिर्फ तबाही का मंजर था। सड़कों पर कैब या ऑटो रिक्शा न होने की स्थिति में लोग पैदल ही सड़कों पर चलने को मजूबर थे। जहां यह तूफान झोपड़ियों को अपने साथ उड़ाकर ले गया, वहीं कलेक्टर, एसपी और दूसरे सरकारी अधिकारियों के आवास भी नुकसान से नहीं बच सके।

'हर बार भगवान ने बचाया, लेकिन'
अपनी पान की छोटी से दुकान (जो अब पूरी तरह उजड़ चुकी थी) के करीब बेसहारा खड़े बैश्नबा मोहंती ने रोते हुए कहा, 'हम लोग पूरी तरह बिखर चुके हैं। हमनें 1999 में सुपर साइक्लोन देखा, 2013 में फालिन और 2014 में हुदहुद जैसा भयंकर तूफान देखा, लेकिन भगवान जगन्नाथ ने उस दौरान हमें बचाया। इस बार वह हमें बचाने नहीं आए।'

पीछे तबाही छोड़ गया तूफान
यह तूफान अपने पीछे तबाही का मंजर, समुद्र किनारे के टूटे होटल, सड़क किनारे बिखरे बिजली के तार, उखड़े हुए बिजली के खंभे, पेड़, मोबाइल टावर, कई जगह लोगों के टूटे घर और पानी में डूबी मछुआरों की कॉलोनी। हालांकि अभी तक श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन से मंदिर में कहीं भी टूट-फूट की खबर नहीं आई है।
 

अबतक मरने वालों की संख्या 16
बता दें कि शुक्रवार को आए भयंकर चक्रवाती तूफान के बाद ओडिशा में बड़ी संख्या में नुकसान पहुंचा है। पूर्व की तैयारी के कारण मरने वालों की संख्या बेहद कम है, लेकिन शहर को इससे काफी नुकसान पहुंचा है। इससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है। जबकि पिछली बार जब इस तीव्रता का तूफान आया था तो करीब 10 हजार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस तूफान से करीब एक करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं।

पूरी मशीनरी बचाव कार्य में लगी
अधिकारियों ने बताया कि मरने वाले 16 लोगों में से मयूरभंज के 4, पुरी, भुवनेश्वर और जाजपुर के 3-3 और क्योंझर, नयागढ़ व केंद्र पाड़ा के 1-1 व्यक्ति शामिल हैं। प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने के लिए रवाना होने से पहले ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि नागरिक समाज संगठनों, एनडीआरएफ, ओडिशा आपदा त्वरित कार्रवाई बल (ओडीआरएएफ) के कर्मियों और एक लाख अधिकारियों के साथ लगभग 2 हजार आपातकालीन कर्मचारी सामान्य जनजीवन को फिर से बहाल करने के कार्य में लगे हुए हैं।
फोनी के गुजरने के बाद 3 मई की तस्वीर।

सोमवार को ओडिशा का दौरा करेंगे पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से बात की और तटीय राज्य में चक्रवात आने के बाद की स्थिति पर चर्चा की। वह सोमवार को ओडिशा का दौरा कर फोनी से हुए नुकसान का जायजा लेंगे। प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार को आश्वासन दिया कि केंद्र की तरफ से राज्य को लगातार सहायता मिलती रहेगी।

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