फिनोलेक्स पारिवारिक विवाद में नया मोड़, भाइयों ने एक-दूसरे पर लगाए फर्जीवाड़े के आरोप

 मुंबई
15000 करोड़ रुपये के फिनोलेक्स ग्रुप में चल रहे पारिवारिक विवाद में नया मोड़ आ गया है। चचेरे भाइयों प्रकाश छाबड़िया और दीपक छाबड़िया ने स्टॉक एक्सचेंजों को दी गई जानकारी में एक दूसरे पर फिनोलेक्स केबल्स पर कब्जे के लिए गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है। प्रकाश फिनोलेक्स केबल्स की प्रमोटर कंपनी ऑर्बिट इलेक्ट्रिकल्स के सबसे बड़े शेयरहोल्डर हैं, जबकि दीपक फिनोलेक्स केबल्स के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन। प्रकाश के पास ऑर्बिट के 78 पर्सेंट शेयर हैं, जबकि दीपक के पास कंपनी के 8 पर्सेंट शेयर।

26 मार्च को स्टॉक एक्सचेंजों को भेजे गए लेटर में फिनोलेक्स केबल्स ने आरोप लगाया था कि प्रकाश ने बोर्ड के सामने ऑर्बिट के फर्जी दस्तावेज जमा कराए ताकि उनका कंपनी पर कब्जा हो जाए। प्रकाश की तरफ से ऑर्बिट ने मंगलवार को स्टॉक एक्सचेंजों को बताया कि फिनोलेक्स के आरोप गलत हैं।

ऑर्बिट ने कहा कि फिनोलेक्स के लेटर में जो विवादास्पद और कथित आरोप लगाए हैं, उसे लेकर एक केस अदालत में चल रहा है। उसने कहा है कि फिनोलेक्स शेयर बाजार में लिस्टेड है, इसलिए उसे सोच-समझकर सूचनाएं जारी करनी चाहिए। ऑर्बिट ने कहा है, ‘उस लेटर में जो भी लिखा गया है, वह फिनोलेक्स केबल्स के रिकॉर्ड में नहीं हो सकता। इससे पता चलता है कि फिनोलेक्स तथ्यों की पड़ताल किए बगैर और दीपक छाबड़िया की तरफ से 26 मार्च वाला लेटर लिखा था।’ कंपनी ने कहा कि फिनोलेक्स ने इस मामले में स्वतंत्र रूप से अपना पक्ष नहीं रखा है और उसने जो बात कही है, वह शेयरहोल्डर्स के हित में भी नहीं है। पब्लिक शेयरहोल्डर्स के हित में तो बिल्कुल भी नहीं।

26 मार्च को फिनोलेक्स ने आरोप लगाया था कि प्रकाश छाबड़िया की गिफ्ट डीड वैलिड नहीं है क्योंकि इसमें सिग्नेचर मिसमैच की समस्या है और दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया गया है। फिनोलेक्स ने यह भी कहा था कि गिफ्ट डीड में जितने की स्टैंप ड्यूटी लगनी चाहिए थी, उतने की नहीं लगी है। लेटर में आरोप लगाया गया था कि ऑर्बिट की बोर्ड मीटिंग का पूरा ब्योरा छलावा है और प्रकाश को अवैध तरीके से शेयर ट्रांसफर किए गए हैं।

दीपक और उनके पिता किशन ने गिफ्ट डीड और ऑर्बिट के बोर्ड के फैसले को पुणे की अदालत में चुनौती दी है, जहां इस मामले की सुनवाई अभी चल रही है। इस पर ऑर्बिट ने कहा था कि मामला अदालत में है और साक्ष्यों के आधार पर वह जो फैसला करेगी, वही सबको मानना होगा। फिनोलेक्स ने 26 मार्च के लेटर में कहा था, ‘31 मार्च 2016 की जिस बोर्ड मीटिंग के जरिये शेयर ट्रांसफर करने की बात कही गई है, वह मीटिंग हुई ही नहीं थी। दीपक उस रोज मीटिंग की जगह पर समय से पहले से मौजूद थे और ऑर्बिट का कोई डायरेक्टर मीटिंग के तय समय के 45 मिनट बाद तक वहां नहीं पहुंचा था।’

ऑर्बिट का कहना है कि बोर्ड मीटिंग का कोरम था और उसके रद्द होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। बीएसई के शेयरहोल्डिंग पैटर्न के मुताबिक, ऑर्बिट के पास फिनोलेक्स के 32 पर्सेंट शेयर हैं। इसके अलावा, प्रकाश के पास फिनोलेक्स केबल्स के 15 पर्सेंट शेयर फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज, फिनोलेक्स केबल्स में सीधी हिस्सेदारी और परिवार के सदस्यों के मार्फत हैं। पिछले साल प्रकाश ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर करके दीपक के फिनोलेक्स केबल्स के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन बने रहने को चुनौती दी थी।

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