प्रेग्नेंसी में सौंफ का सेवन कितना सुरक्षित
प्रेग्नेंसी में इस मात्रा से ज्यादा सौंफ खाई तो हो सकता है मिसकैरेजकंसीव करने से लेकर डिलीवरी होने तक और यहां तक कि पोस्ट डिलीवरी में भी महिलाओं को अपने खानपान का बहुत ध्यान रखना पड़ता है। गर्भावस्था के नौ महीनों में महिलाओं को कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है जिससे राहत पाने के लिए वो रसोई में मौजूद घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करती हैं। प्रेग्नेंसी में इस्तेमाल होने वाली जड़ी बूटियों में से एक सौंफ भी है लेकिन प्रेगेनेंट महिलाओं को सौंफ खाने से पहले ये जान लेना चाहिए कि ये उनके लिए कितनी सुरक्षित और असरकारी है।
क्या प्रेग्नेंसी में सौंफ खा सकते हैं
सौंफ में प्राकृतिक रूप से मासिक धर्म को उत्तेजित करने के गुण होते हैं इसलिए गर्भावस्था में बुहत ही कम मात्रा में सौंफ खाने की सलाह दी जाती है। आप एक छोटी चम्मच सौंफ का प्रतिदिन सेवन कर सकती हैं।
गर्भावस्था में सौंफ खाने के फायदे
प्रेग्नेंसी में सीमित मात्रा में सौंफ खाने से गर्भवती महिलाओं को निम्न लाभ मिल सकते हैं :
सौंफ की चाय को मॉर्निंग सिकनेस और मतली की समस्या को दूर करने में बहुत असरकारी पाया गया है। प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में इस तरह की परेशानियां बहुत आती हैं।
प्रेग्नेंसी में पेट फूलने की समस्या भी काफी परेशान करती है और सौंफ इसे दूर करने में प्रभावशाली साबित हुई है।
सौंफ भूख बढ़ाने का भी काम करती है।
गर्भावस्था में प्रेगनेंट महिलाओं को अपच की शिकायत भी रहती है और सौंफ अपच को दूर करने का आसान उपाय है।
प्रेग्नेंसी में होने वाली गैस और सीने में जलन को भी सौंफ दूर करती है।
प्रेग्नेंसी में सौंफ खाने का तरीका
सौंफ मीठी और खुशबूदार होती है। आप खाने में फ्लेवर देने या खाने के बाद माउथ फ्रेशनर के रूप में सौंफ ले सकती है। मतली से राहत पाने के लिए सौंफ की चाय भी पी सकते हैं।
प्रेग्नेंसी में सौंफ खाने के नुकसान
गर्भावस्था में सौंफ खाने के लाभ ही नहीं बल्कि कुछ नुकसान भी होते हैं, जैसे कि :
प्रेग्नेंसी के दौरान सौंफ खून के जमने की क्षमता को प्रभावित करती है और खून के थक्के बनाने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है। यदि आपको कोई ब्लीडिंग विकार है तो सौंफ न खाएं।
सौंफ खाने से त्वचा रूखी हो सकती है। सेंसिटिव स्किन वाली महिलाओं को गर्भावस्था में सौंफ नहीं खानी चाहिए।
सौंफ में फाइटोएस्ट्रोजेनिक, ऐंठन-रोधी और सूजन-रोधी गुण होते हैं जो गर्भाशय को उत्तेजित करती है। इससे नौ महीने पूरे होने से पहले कोई जटिलता आ सकती है।
इस सबके बावजूद प्रेगनेंट महिलाएं कम मात्रा में सौंफ खा सकती हैं। इससे शिशु को कोई नुकसान नहीं होगा और न ही कोई जटिलता आएगी।
क्या सौंफ से मिसकैरेज हो सकता है
कई लोग खाना खाने के बाद सौंफ खाना पसंद करते हैं क्योंकि ये भोजन को पचाने में मदद करती है लेकिन प्रेग्नेंसी में सौंफ खाने से मासिक चक्र ट्रिगर हो सकता है और वजाइनल ब्लीडिंग हो सकती है जिससे अपने आप ही मिसकैरेज हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप प्रतिदिन केवल आधा चम्मच ही सौंफ खाएं।
गर्भावस्था में किसी भी चीज के सेवन को लेकर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। ऐसा करने से मां और शिशु दोनों पर कोई मुश्किल आ सकती है।