प्रियंका गांधी ने टेलीकॉम कंपनियों को लिखी चिट्ठी- संकट में लोग, फ्री करें मोबाइल सर्विस

नई दिल्ली
कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा है. सरकार से लेकर लोग निजी स्तर पर भी इससे निपटने की कोशिश कर रहे हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए केंद्र सरकार ने 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया है. इसकी वजह से प्रवासी मजदूरों में अफरा-तफरी की स्थिति देखी जा रही है. महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक प्रवासी मजदूर अपने घर की तरफ जाने के लिए जूझ रहे हैं. इस बीच, देश भर में पलायन कर रहे लाखों मजदूरों के संदर्भ में प्रियंका गांधी ने मानवीय आधार पर टेलीकॉम कंपनियों को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने भूख, प्यास और बीमारियों से जूझते हुए अपने परिवार और घर पहुंचने के लिए जो लोग जद्दोजहद कर रहे हैं उनकी मदद करने की अपील की है.

प्रियंका गांधी ने कहा है कि संकट की घड़ी में अपने देशवासियों की मदद करना हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी. उन्होंने कहा कि टेली कम्यूनिकेशन कंपनी मौजूदा हालात में सकारात्मक फर्क डाल सकती हैं. बहुत सारे लोग जो अपने घर जा रहे हैं उनके मोबाइल रिचार्ज ख़त्म हो चुके हैं. इसका मतलब है कि वो अपने परिजनों को कॉल नहीं कर सकते और न ही उनके कॉल रीसीव कर सकते हैं. प्रियंका गांधी संचार कंपनियों से कहा, 'मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि आप अपनी मोबाइल सेवा में इनकमिंग और आउटगोइंग व्यवस्था को अगले एक महीने के लिए निःशुल्क कर दें ताकि मर्द, औरत और बच्चे जो संभवतः अपनी ज़िंदगी के सबसे मुश्किल सफ़र पर हैं, उन्हें अपने परिजनों से बात करने में कुछ सहूलियत मिल सके. मुझे आपसे सकारात्मक जवाब की उम्मीद है.

इससे पहले, कोरोना वायरस को देखते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था. पत्र में उन्होंने कहा था कि देश इस वक्त बड़े मानवीय संकट से गुजर रहा है. ऐसे में मैं और कांग्रेस पार्टी के लाखों कार्यकर्ता आपके साथ खड़े हैं. देश में कोरोना वायरस के खिलाफ जो लड़ाई चल रही है, उसमें सरकार के एक-एक कदम में हम सहयोग कर रहे हैं. कोविड-19 वायरस के तेजी से प्रसार को रोकने के लिए दुनिया को तत्काल कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा है और भारत वर्तमान में तीन सप्ताह के लॉकडाउन में है. मुझे संदेह है कि सरकार अंततः इसे और भी आगे बढ़ाएगी.

राहुल गांधी ने लिखा है, हमारे लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत की परिस्थितियां कुछ अलग हैं. हमें पूर्ण लॉकडाउन रणनीति का पालन करने वाले अन्य बड़े देशों की तुलना में अलग-अलग कदम उठाने होंगे. भारत में वैसे गरीब लोगों की संख्या काफी अधिक है जो दैनिक आय पर निर्भर हैं. ऐसा देखते हुए हमारे लिए सभी आर्थिक गतिविधियों को एकतरफा बंद करना बहुत बड़ी चुनौती है. इस पूर्ण आर्थिक बंद के कारण कोविड-19 वायरस से होने वाली मौतों की संख्या और भी बढ़ जाएगी. राहुल गांधी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सरकार इस मुश्किल परिस्थिति के साथ आम लोगों की भी परेशानी समझे. हमारी प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि बुजुर्गों को इस वायरस के प्रकोप से बचाने के लिए उन्हें कैसे सुरक्षा दी जाए और आइसोलेट कैसे किया जाए. इसके साथ ही युवा वर्ग को यह संदेश दिया जाए कि उनका बुजुर्ग लोगों के नजदीक जाना कितना खतरनाक हो सकता है.

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