प्रदेश में भाजपा शासनकाल में तेजी से बढ़ा मांस का कारोबार

भोपाल
जीव हत्या का विरोध करने वाली भाजपा शासनकाल में प्रदेश में मांसाहार बढ़ा। मांस का उत्पादन दोगुना तक हो गया। 1980 के दशक में औसतन 10 में से सिर्फ 3 लोग मांसाहारी थे, जबकि आज ये आंकड़ा बढ़कर 10 में से 6 हो गया है। मप्र में मांस का उत्पादन 2014 की तुलना में 2018 तक लगभग दोगुना हो गया है।

गौवंश की रक्षा के नाम पर घड़ी-घड़ी उबलने वाले भाजपा समर्थित तमाम संगठनों के लिए ये खबर चौंकाने वाली है। क्योंकि जो भाजपा हर बात पर शाकाहार और गौवंश के संरक्षण की बात करती रही उसी के शासनकाल में मध्य प्रदेश में मांस का उत्पादन बढ़कर दोगुना हो गया। पिछले पांच साल के आंकड़े तस्दीक करते हैं कि मप्र में हर साल मांस उत्पादन बढ़ा है।

पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में 2013-14 में मांस उत्पादन 48 हजार मीट्रिक टन था। 2014-15 में बढ़कर ये सालाना 59 हजार मीट्रिक टन हो गया। 2015-16 में मांस उत्पादन 70 हजार मीट्रिक टन था जो 2016-17 में 79 हजार मीट्रिक टन हो गया। 2017-2018 के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मांस उत्पादन बढ़कर 89 हजार मीट्रिक टन हो गया। प्रदेश में प्रति व्यक्ति मांस उपलब्धता भी बढ़ी है। 2013-14 में प्रति व्यक्ति मांस उपलब्धता 623 ग्राम थी, जो 2017-18 में बढ़कर 1076 ग्राम हो गई। प्रदेश में मांस के साथ ही अंडों का उत्पादन भी बढ़ा है। प्रदेश में वर्ष 2015-16 की अपेक्षा वर्ष 2016-17 में अंडों के उत्पादन में 17.53 प्रतिशत की वृद्धि परिलक्षित हुई, जबकि वर्ष 2015-16 की अपेक्षा वर्ष 2016-17 में दुग्ध उत्पादन में 10.68 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई।

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