प्रदर्शनकारी को लगी गोली, पुलिस का इनकार- हमने फायरिंग की ही नहीं: डॉक्टर

 नई दिल्ली 
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया में रविवार को हुए प्रदर्शन के दौरान गोलियां चलने से दो छात्रों के घायल की खबर है, जिन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सफदरजंग अस्पताल के एक डॉक्टर ने सोमवार को कहा कि नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने के दौरान एक प्रदर्शनकारी गोली लगने से घायल हुआ है। हालांकि, दिल्ली पुलिस गोली चलने की बात से इनकार कर रही है। डॉक्टर द्वारा गोली चलने और उससे प्रदर्शनकारी के घायल होने के दावों को दिल्ली पुलिस ने खारिज किया है और कहा है कि उनके पुलिसकर्मियों हथियार के साथ नहीं थे। 

पुलिस ने कहा है कि प्रदर्शन के दौरान आंसू गैस के गोले दागे गए थे, जिससे प्रदर्शनकारी घायल हुए होंगे। मगर हमारी ओर से कोई फायरिंग नहीं हुई। गौरतलब है कि रविवार को जामिया के छात्रों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई थी, जिसमें दिल्ली की सड़कों पर चार पब्लिक बसों को आग के हवाले कर दिया गया था और इसमें करीब 60 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस हिंसक झड़प के बाद ही दिल्ली पुलिस जामिया मिल्लिया के कैंपस में घुसी थी और लाठीचार्ज करने के बाद करीब 50 छात्रों को हिरासत में लिया। 

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनील गुप्ता के अनुसार, 22 वर्षीय एजाज को सीने में चोट लगने के बाद शाम 5.30 बजे के बाद अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में लाया गया। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टरों द्वारा की गई जांच से पता चला कि उसे एक गोली लगी थी, जिसका घाव था। हमें नहीं पता कि प्रदर्शन में क्या हुआ या किसने उसे गोली मारी। वह इस समय चेस्ट ट्यूब के साथ आईसीयू में है और वह स्थिर है। 

एजाज की इंजरी के बारे में पूछे जाने पर संयुक्त पुलिस आयुक्त (दक्षिणी रेंज) देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि कोई गोली नहीं चलाई गई थी। यहां तक कि रबर की गोलियां भी नहीं। पुलिस ने केवल प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले और गैस ग्रेनेड चलाए। इस बात की संभावना है कि आंसू गैस के गोले या गैस ग्रेनेड से कुछ प्रदर्शनकारियों को छर्रे लगे हों। उन्होंने कहा कि आंसू गैस के छींटे से चोट लगने पर कभी-कभी प्रारंभिक चिकित्सा जांच के दौरान गोली की चोट जैसी लग सकती है।

वहीं, पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पूर्व) चिनमोय बिस्वाल ने कहा कि अगर उन्हें गोली लगी, तो यह पुलिस की वजह से नहीं। हो सकता है कि असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर गोलीबारी की हो और उसमें से गोली एक व्यक्ति को लगी। हम इसकी जांच करेंगे। 

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विद्यार्थियों के प्रदर्शन का संभवत: हिस्सा रहे सुहैब खान को भी घायल अवस्था में सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया गया है। बताया जा रहा है कि सुहैब खान (23) नामक एक विद्यार्थी के पिता ने बताया कि उनका बेटा प्रदर्शन का हिस्सा नहीं था, वह तब (झड़प के दौरान) वहां से गुजर रहा था, उसके पैर के अंगूठे में गोली लगी है। हालांकि, पुलिस ने इसमें भी गोली चलने से इनकार कर दिया है। मोहम्मद अरशद ने कहा, '' पिछली रात उसकी सर्जरी हुई और उसे वार्ड में ले जाया गया। उन्होंने कहा कि सुहैब जामिया हमदर्द में बी टेक का चौथे वर्ष का विद्यार्थी है।

गौरतलब है कि होली फैमिली अस्पताल ने कहा कि रविवार की देर रात तक उनके इमरजेंसी वार्ड में करीब 35 घायलों को भर्ती कराया गया। घायलों में 12 पुलिसवाले थे। बता दें कि जामिया के हिरासत में लिए गए 50 छात्रों को सोमवार तड़के रिहा कर दिया गया लेकिन परिसर में तनाव बना हुआ है।

छात्र प्रदर्शनकारियों ने जामिया विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बिना पुलिस के परिसर में घुसने के साथ जामिया के पुस्तकालय में आंसू गैस का इस्तेमाल करने की जांच कराने की भी मांग की। प्रदर्शन के बाद विश्वविद्यालय ने पांच जनवरी तक अवकाश की घोषणा कर दी और छात्रों से हॉस्टल खाली करने के लिए कहा गया।

जामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने भी छात्रों का समर्थन करते हुए कहा कि पुलिस बिना अनुमति के परिसर में घुसी। उन्होंने कहा कि परिसर में पुलिस की मौजूदगी को विश्वविद्यालय बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने छात्रों पर हुई पुलिस कार्रवाई की उच्च स्तरीय जांच की मांग की।

जामिया के साथ आए कई कॉलेज-यूनिवर्सिटी
दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को लेकर आईआईटी कानुपर, आईआईटी मद्रास और आईआईटी मुंबई में भी प्रदर्शन हुए, जहां के छात्र प्राय: प्रदर्शनों से दूर रहते हैं। आईआईएम, अहमदाबाद, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलूरू के छात्रों ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इसके साथ ही मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में भी प्रदर्शन हुआ। आईआईएम, बेंगलूरू के छात्रों ने जामिया के छात्रों के खिलाफ हुई पुलिसिया कार्रवाई का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।

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