प्रतिबंधित दवाईयां बनाने के कारखाने पर खाद्य एवं औषधि विभाग की दबिश, 3 लाख रुपए का केमिकल जब्‍त

इंदौर
पशु चिकित्सा में उपयोग होने वाली प्रतिबंधित दवाईयां (Restricted Medicines) बनाने के कारखाने पर खाद्य एवं औषधि विभाग (Food and Drugs Department) की दबिश से हड़कंप मच गया है. इस दौरान करीब तीन लाख रुपए का केमिकल जब्‍त किया गया है. जबकि गुजरात के जामनगर से केमिकल लाकर युवक पेकिंग कर प्रदेश के तमाम हिस्सों में इसकी सप्‍लाई करते थे. द्वारिकपूरी थाना (Dwarikpuri Police Station) अंतर्गत ममता नगर में लम्बे समय से दवाईयां की पैकिंग का कारखाना संचालित हो रहा था. जहां अमानक केमिकल से पशु चिकित्सा में प्रतिबंधित ड्रग ऑक्सीटॉसिन का निर्माण और सप्लाई का काम हो रहा था.

खास बात यह है कि इस बात से खाद्य एवं औषधि विभाग अनजान था. द्वारिकापुरी थाना प्रभारी विजय सिसोदिया को सूचना मिली थी कि इलाके में ऐसी दवाईयां बनाने का करखाना संचालित हो रहा है जो कि नकली केमिकल से बनाया जा रहा है और प्रतिबंधित भी है. लिहाजा थाना प्रभारी ने मामले की जानकारी संबंधित खाद्य एवं औषधि विभाग को दी, जिसके बाद विभाग ने दबिश देकर कारखाने का भंडाफोड़ किया.

ऑक्सीटॉसिन नामक ड्रग का इस्तेमाल पशुओं में दुग्ध उत्पादन के लिए किया जाता है. हालांकि सरकार ने इसका उपयोग प्रतिबंधित किया है. साथ ही इसकी मात्रा और गुणवत्ता तय की है. जानवर को ऑक्सीटॉसिन नामक इंजेक्शन लगाकर उत्पादित किया गया दुग्ध मानव शरीर पर भी कई हानिकारक प्रभाव् डालता है. खाद्य एवं औषधि विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर धर्मेश के मुताबिक शुरुआती पूछताछ में जामनगर के रहने वाले भीम सिंह केमिकल गुजरात से लाकर इंदौर में पेकिंग करते थे और प्रदेश के तमाम हिस्सों में सप्लाई करते थे. जबकि इसके लिए अलग-अलग कर्मचारियों को भी रखा गया था. इन दवाईयों पर बिना किसी लेवल या स्टीकर के ही बाज़ार में सस्ते दामों में खपाया जाता था. विभाग के अधिकारियों ने माल जब्त कर सेम्पल लेब टेस्टिंग के लिए भेज दिए हैं.

इस मामले में रिपोर्ट आने के बाद एक्‍शन की बात कही जा रही है. जबकि जब्त किये गए माल की कीमत लगभग तीन लाख है. इसके साथ ही औषधि विभाग के अधिकारी कारखाने के संचालक के बयानों के आधार पर और भी जगह दबिश देकर माल जब्ती की कार्यवाही कर सकते हैं. इससे से भविष्य में इस तरह के और भी कई कारखानों का खुलासा हो सकता है. गौरतलब है कि ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन का उपयोग होने के बाद जिन पशुओं का दुग्ध उत्पादन किया जाता है. वह दूध भी गुणवत्ता विहीन हो जाता है. जाहिर सी बात है कि इंसान के शरीर पर घातक असर डालने वाली दवाई का कारखाना शहर में संचालित हो रहा था और संबंधित खाद्य एवं औषधि विभाग इससे अनजान बना बैठा था. विभाग की बड़ी चूक इसमें मानी जा रही है. अब देखना होगा इन पर किस तरह की कार्यवाही होती है. समय रहते थाना प्रभारी ने विभाग को सूचित किया तब जाकर कार्यवाही सम्भव हो सकी अन्यथा यह काला कारोबार आगे भी बदस्तूर जारी रहता.

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