प्याज के दाम 130 रुपये तक पहुंचे, जनवरी तक सस्ते होने की उम्मीद कम

 पुणे
पिछले वर्ष के मुकाबले प्याज की उपलब्धता 50 प्रतिशत तक कम रहने, पहले का स्टॉक खत्म होने, नई फसल को बेमौसम बारिश से नुकसान होने और इसकी आवक में देरी के चलते महाराष्ट्र में हर रोज प्याज का भाव नई ऊंचाई छू रहा है। कुछ बाजारों में प्याज का दाम 130 रुपये प्रति किलो तक चला गया है। सरकारी अधिकारियों और व्यापारियों का कहना है कि जनवरी तक आसमान छूती कीमतों से राहत मिलने के आसार नहीं हैं। इसकी लगातार आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के मार्केटिंग डिपार्टमेंट ने हालात सुधरने तक ऐग्रिकल्चरल प्रड्यूस मार्केटिंग कमिटीज (APMC) की सरकारी और सार्वजनिक छुट्टियां रद्द कर दी हैं।

महाराष्ट्र ऐग्रिकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड (MSAMB) के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में अक्टूबर और नवंबर में प्याज की आवक पिछले साल के समान महीनों के मुकाबले 50 प्रतिशत तक कम थी। खरीफ सीजन की लाल प्याज की आवक शुरू हो गई है। हालांकि, इसकी बुआई में देरी और रकबा घटने से आवक की मात्रा कम है। महाराष्ट्र में नवंबर के दौरान बाजार में प्याज की आवक पिछले पांच वर्षों में सबसे कम थी। यहां अक्टूबर 2019 में प्याज की आवक 25 लाख क्विंटल थी, जो अक्टूबर 2018 के दौरान 51 लाख क्विंटल थी। पिछले साल नवंबर के दौरान मार्केट में 41.3 लाख क्विंटल प्याज आई थी, जबकि इस साल नवंबर में यह घटकर 24.5 लाख क्विंटल पर आ गई।
 
केंद्र सरकार के अधिकारियों ने जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए महाराष्ट्र के अधिकारियों के साथ विडियो कॉन्फ्रेंस रखी थी। कृषि विभाग के सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र में खरीफ प्याज का बुआई क्षेत्रफल पिछले साल के 97,000 हेक्टेयर से घटकर 43,000 हेक्टेयर पर आ गया था। केंद्र सरकार ने भले ही टर्की और मिस्र से प्याज मंगाने की दिशा में कदम बढ़ाया है, लेकिन कई वजहों से प्राइवेट इंपोर्ट की राह आसान नहीं है। प्याज निर्यातक दानिश शाह ने बताया कि अक्टूबर में प्याज के भाव 30-35 रुपये किलो तक आ गए थे, लेकिन नवंबर में अचानक से बढ़ गए।

उन्होंने कहा, ‘इस साल की शुरुआत में दाम बढ़ने पर प्याज आयात किया गया था। हालांकि, इंपोर्ट का माल आने तक घरेलू बाजार में भाव कम हो गया और आयातकों को नुकसान उठाना पड़ा। यही वजह है कि पिछले 10 दिनों में प्याज के दाम जब दोबारा चढ़े तो व्यापारी चौकन्ने हो गए। आयातित माल की साफ-सफाई संबंधित मंजूरी मिलने में भी देरी से आयात में लगने वाला समय और बढ़ जाता है।’ शाह के मुताबिक, स्टोर में जमा प्याज की आपूर्ति खत्म होने और नई फसल की कटाई में देरी के चलते प्याज के भाव अचानक से उछले हैं। उन्होंने कहा, ‘दिसंबर के दूसरे पखवाड़े से कीमतों में गिरावट शुरू होने और 10 जनवरी के बाद सामान्य स्तर पर आने की उम्मीद है।’
 

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