पौधे की स्थिति देख जारी करेंगे विद्यार्थियों के रिजल्ट

भोपाल 
डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण असंतुलन एवं समाज विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी मे मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. प्रबु़द्व कुमार मिश्रा ने कहाकि विद्यार्थियों के रिजल्ट पौधों की स्थिति देखने के बाद जारी करना चाहिए। 

दिल्ली विवि के प्रो. मिश्रा ने बताया कि पर्यावरण असंतुलन के विविध पहलु जैसे पानी, बायोडायवरसिटि, जंगल, भूमि, प्रदुषण, आपदा, समुद्री क्षेत्र, उर्जा शहरीकरण, ग्लोबल वार्मिंग और क्लायमेट चेन्ज पर प्रकाश डाला। उन्होंने डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के पर्यावरण संरक्षण के प्रति योगदान को गहराई से समझने पर जोर डाला। अपने उद्बोधन में प्रो. मिश्रा ने कहा की पर्यावरण दिवस मनाने से कोई उत्साहवर्धक परिणाम नहीं मिल रहें है, उसे क्रियान्वित करना होगा। छात्र के स्कूल कॉलेज में प्रवेश के दिन पौधा लगाना अनिवार्य करें और उसकी स्कूल व कॉलेज की शिक्षा समाप्त होने के उपरान्त ही पौधे की स्थिति को देखते हुए उनका परीक्षा परिणाम घोषित किया जाए। 

संगोष्ठी की विषयवस्तु का परिचय देते हुये प्रो. किशोर जॉन ने डॉ. अम्बेडकर के पर्यावरण के प्रति योगदान पर बल देते हूये भाखरा नांगला डेम की कल्पना समाज के कमजोर वर्ग को समान रूप से नैसर्गिक संपत्ती में समान अधिकार दिलाना व पर्यावरण को संरक्षित करने में गरीब वंचित वर्गाे को प्रोत्साहित कर सम्मान के साथ जीवनयापन प्रदान करना था । 

विशिष्ट अतिथि प्रो. रमेश मंगल के द्वारा अपने उद्बोधन में व्यक्त किया कि डॉ. अम्बेडकर के पर्यावरण संरक्षण के प्रति किये गये योगदान को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। साथ ही इनके द्वारा डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर को आभा मंडल जिसमें पर्यावरण समाहित है से सम्बोधित किया, जो डॉ. अम्बेडकर के द्वारा संवैधानिक प्रावधानों में समाहित मौलिक अधिकारों से उजागर होता है। उनके चरित्र पर, उनके पर्यावरण के विचारों पर अनेकों किताबे बनाई जा सकती है।  डॉ. अम्बेडकर के विचार ऐसे थे कि हवा एक जैसी बने, पानी एवं हवा में अस्पृश्यता न हो। 

संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो. अश्विनी वागंनू ने डॉ. अम्बेडकर को संकिर्ण रूप से समझने के बजाय पूर्ण रूप से समझने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा पर्यावरण को संरक्षित करना अपने हाथ में है, स्वयं का पर्यावरण स्वयं संरक्षित करें। डॉ. वांगनू ने अपने प्रस्तुतीकरण में इस बात पर विशेष जोर दिया कि हम बाबासाहेब के बराबर कार्य नहीं कर सकते लेकिन उनके पदचिन्हों पर अवश्य चल सकते है।

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशा शुक्ला कहाकि डॉ. अम्बेडकर के योगदान एवं उनकी पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालय में प्रवेशित प्रत्येक छात्र से विश्वविद्यालय प्रांगण में पौधा लगाया जाना अनिवार्य किया जायेगा तथा उसकी शिक्षा तक पौधे को संरक्षित करने की जिम्मेदारी छात्र की होगी। 

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