पुलिस हिरासत में हुई मौतों पर घिरी कमलनाथ सरकार

भोपाल
 मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को सत्ता में आए नौ महीने हो गए हैं। लेकिन कानून व्यवस्था चुस्त दुरुस्त करने में सरकार अभी पूरी तरह से कामयाब नहीं हुई है। पुलिस कस्टडी में लगातार हुई तीन मौतों में सरकार को हिला कर रखे दिया है। पुलिस विभाग के इन कारनामों को कारण सरकार की छवि धूमिल हो रही है। लेकिन सरकार इनपर कठोर कार्रवाई करने के बजाए मामलों को रफा दफा करने में लगी है। विपक्ष भी सरकार को इन मामलों पर घेरने की तैयारी में है।

पुलिस की लापरवाही के चलते नौ महीने में पुलिस हिरासत में तीन व्यक्तियों को मौत हो चुकी है। पुलिस हिरासत में मौत के यह मामले भोपाल, शिवपुरी और दतिया में सामने आए हैं। राजधानी भोपाल में जून महीने में शिवम मिश्रा को मौत पुलिस हिरासत में हुई थी। पुलिस पर आरोप लगा था कि पुलिस ने शिवम को बेरहमी से पीटा जिसके बाद उसकी मौत हो गई। इस मामले में सरकार ने पुलिस अफसर को लाइन अटैच कर सस्पेंड करने की कार्रवाई की थी। इसके आगे मामला अभी तक ठंडे बस्ते में चला गया है। वहीं, दूसरा मामला शिवपुरी जिले का है। 22 अगस्त को शिवपुरी के खनिया धाना थाने में एक प्रकरण दर्ज हुआ था। पुलिस ने छेड़छाड़ के आरोप में शोभराम लोधी को गिरफ्तार किया था। हिरासत में उसकी मौत होने के बाग यहां भी सिर्फ लाइन अटैच करने की कार्रवाई की गई। तीसरा मामला जबलपुर शहर का है। यहां भी पुलिस हिरासत में जुआ खेलने के आरोपी सुरेश को चौकी लाया गया जहां उसकी मौत हो गई।

दतिया में थाना प्रभारी सस्पेंड

इन तीन मामले से सबक लेने के बजाए दिताय पुलिसा भी उनकी ही रहा पर निकल पड़ी। दतिया के चिरूला थाना क्षेत्र में ग्राम तगा में जुए की कार्रवाई करने गई पुलिस ने चरण सिंह को हिरासत में लिया था। पुलिस पर आरोप है कि चरण सिंह के साथ हारिसत में लेने के बाद बेरहमी से मारपीट की गई है जिसके बाद उसका हालत बिगड़ने पर उसे ग्वालियर रैफर किया है। इस मामले में एसपी डी कल्याण ने थामा प्रभारी दिनेश सिंह कुशनवाहा और एएसपी सियाशरण को सस्पेंड किया है।

बीजेपी के निशाने पर कांग्रेस

लगातार हो रही इन हत्याओं के सामने आने के बाद सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि  प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगड़ गई है। पुलिस का व्यवहार जनता के प्रति संवेदनशील नहीं है। सरकार पूरी तरह से पुलिस को संवेदनशीलता का पाठ पढ़ाने में विफल साबित हुई है।

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