पुलवामा पर दिग्विजय की सिद्धू को सलाह, अपने दोस्त इमरान खान को जाकर समझाइए

नई दिल्ली 

पुलवामा आतंकी हमले पर दिए गए बयान को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू जहां विपक्ष और आम जनता के निशाने पर हैं वहीं उनकी पार्टी के नेता भी उनके खिलाफ खड़े हो गए हैं। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सिद्धू को नसीहत दी है कि भारत को कुछ भी कहने से पहले अपने दोस्त इमरान भाई को समझाएं क्योंकि उनकी वजह से ही आपको गालियां पड़ रही हैं। साथ ही दिग्विजय ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को भी कहा कि इमरान खान आतंकवाद का खात्मा करने के लिए आतंकी हाफिज सईद और मसूद अजहर को भारत को सौंपने की हिम्मत दिखाइए। अपने इस साहस के लिए आप न सिर्फ पाकिस्तान को वित्तीय संकट से बाहर निकाल पाएंगे साथ ही नोबेल शांति पुरस्कार के लिए फ्रंट रनर भी होंगे।
  
उल्लेखनीय है कि पुलवामा आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद शामिल था। सीआरपीएफ पर आत्मघाती हमला करने वाला आदिल अहमद डार जैश का ही आतंकी था। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद कांग्रेस नेता और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने पाकिस्तान के हक में बयान देते हुए कहा था कि इस तरह के कायराना आतंकी हमले के लिए किसी एक पूरे देश को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है।
 
सिद्धू ने कहा था कि भारत को पाकिस्तान के साथ बातचीत बंद नहीं करनी चाहिए क्योंकि वार्ता करने पर ही कोई हल निकलेगा। सिद्धू के इस बायन के बाद देश के लोगों का गुस्सा भड़क गया था। लोगों का कहना है कि ऐसे हालात में भी सिद्धू का पाकिस्तान के साथ खड़ा होना अपने देश के साथ धोखा है। जहां पाकिस्तान आतंकियों को पनाह दे रहा और हमारे जवानों पर हमले किए जा रहे हैं ऐसे में बातचीत करना बेवकूफी ही होगी। सिद्धू के इस बयान पर कांग्रेस नेता भी उनके साथ नहीं खड़े दिख रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक सिंह ने एक अन्य ट्वीट में मोदी समर्थकों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि मैं जानता हूं कि मोदी भक्त मुझे इस पर ट्रोल करेंगे किंतु मैं इसकी परवाह नहीं करता। इमरान खान एक क्रिकेटर के तौर पर मुझे पंसद हैं लेकिन वह मुस्लिम कट्टरपंथियों और आईएसआई समर्थित समूहों का समर्थन कर रहे हैं और मैं इस पर विश्वास नहीं कर पा रहा हूं।

उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे पर आरोप लगाने की बजाए हमें अपने राजनीतिक मतभेदों को भूलाकर एक साथ आना चाहिए और कश्मीर घाटी में फिर से सांप्रदायिक सद्भाव स्थापित करने का काम करना चाहिए ताकि वहां कश्मीर मुस्लिम और कश्मीर हिंदू भाई के साथ साथ रहने का माहौल बने जो वहां का ‘हाल मार्क’ था। सिंह ने कश्मीर के छात्रों और स्थानीय नागरिकों का देश के विभिन्न हिस्सों में उत्पीड़न नहीं किए जाने की अपील करते हुए लिखा कि एक भारतीय के नाते क्या हम कश्मीरी छात्रों और कश्मीरी व्यापारियों को पूरे देश में परेशान करना नहीं छोड़ सकते हैं? क्या हम ऐसा कश्मीर चाहते हैं जहां कश्मीरी ही नही हों? एक राष्ट्र के तौर पर हमें अपना विकल्प चुनना ही होगा। सिंह ने कश्मीर के लिए एक रोडमैप तैयार करने सुझाव देते हुए कहा कि क्या कांग्रेस, भाजपा, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कश्मीर में मौजूद अन्य पार्टियां अगले दस वर्ष के लिए एक रोडमैप तैयार नहीं कर सकते।

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