पीएम मोदी से ज्यादा नजदीकी ना दिखाएं अफसर, कल हम भी सत्ता में आएंगे: सिब्बल

 
नई दिल्ली

कांग्रेस ने रविवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) राजीव महर्षि पर राफेल फाइटर जेट डील में हितों के टकराव का आरोप लगाया। कांग्रेस ने रविवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) राजीव महर्षि से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के करार की ऑडिट प्रक्रिया से खुद को अलग करने की मांग की। इसके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि जो भी अधिकारी पीएम नरेंद्र मोदी से वफादारी दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, उन पर नजर रखी जा रही है। 
 
उन्होंने कहा, 'अधिकारियों को पता होना चाहिए कि सरकारें आती-जाती रहती हैं। कभी हम सत्ता में होते हैं, तो कभी विपक्ष में। हम ऐसे सभी अधिकारियों पर नजर रख रहे हैं, जो अतिउत्साही हैं और पीएम मोदी से वफादारी दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि संविधान सर्वोच्च है।' सिब्बल ने सीएजी राजीव महर्षि पर आरोप लगाया कि जब राफेल डील हो रही थी उस वक्त वह वित्त सचिव थे, ऐसे में वह एनडीए सरकार को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। 

'सीएजी करेंगे एनडीए सरकार के बचाव की कोशिश'
उन्होंने कहा, 'सीएजी राजीव महर्षि अपनी रिपोर्ट में एनडीए सरकार को बचाने वाले हैं। पूरी राफेल डील राजीव महर्षि की निगरानी में हुई थी, क्योंकि उस समय वही वित्त सचिव थे। जब डील के लिए बातचीत शुरू हुई थी तो वित्त मंत्रालय भी उसका हिस्सा था।' सिब्बल ने कहा कि राजीव महर्षि खुद अपने खिलाफ कार्रवाई कैसे कर सकते हैं, यह हितों का टकराव होगा। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा, 'चूंकि तत्कालीन वित्त सचिव के तौर पर वह इस वार्ता का हिस्सा थे इसलिए उन्हें ऑडिट प्रक्रिया से खुद को अलग कर लेना चाहिए।' कांग्रेस ने यह भी कहा है कि महर्षि द्वारा संसद में राफेल पर रिपोर्ट पेश करना अनुचित होगा। आपको बता दें कि सोमवार को संसद में विवादित राफेल डील पर सीएजी रिपोर्ट पेश किए जाने की संभावना है। 

अरुण जेटली ने किया राजीव महर्षि का बचाव 
दूसरी तरफ, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने CAG पर हितों के टकराव संबंधी कांग्रेस के आरोपों को 'झूठ पर आधारित' बता खारिज किया है। जेटली ने आरोप लगाया कि कांग्रेस 'झूठ के आधार' पर अब CAG जैसी संस्था पर कलंक लगा रही है। उन्होंने ट्वीट किया, 'संस्थाओं को नष्ट करने वालों का अब झूठ के आधार पर CAG की संस्था पर एक और हमला। सरकार में 10 साल रहने के बाद भी यूपीए के पूर्व मंत्रियों को यह भी नहीं पता है कि फाइनैंस सेक्रटरी सिर्फ एक पद है जो वित्त मंत्रालय में वरिष्ठतम सेक्रटरी को दिया जाता है। सेक्रटरी (इकनॉमिक अफेयर्स) का रक्षा मंत्रालय की खर्च से जुड़ी फाइलों में कोई भूमिका नहीं होती। रक्षा मंत्रालय की फाइलों को सेक्रटरी (एक्सपेंडिचर) देखते हैं।' 
 

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