पिछले 102 सालों में इस सितंबर महीने में सबसे अधिक बारिश

 नई दिल्ली
मॉनसून की जोरदार बारिश के कारण यह महीना 102 सालों में सबसे ज्यादा भिगाने वाला सितंबर बनने जा रहा है। जबकि जून-सितंबर की अवधि में देश में सामान्य से 9 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। देशभर में सितंबर में औसत बारिश 247.1 मिलीमीटर हुई जो कि सामान्य से 48 फीसदी अधिक और 1901 के बाद तीसरी सबसे अधिक बारिश का रेकॉर्ड है। सोमवार तक यह 1983 के (255.8 मिलीमीटर) रेकॉर्ड को तोड़ देगा। गुजरात और बिहार के लिए जहां रेड अलर्ट जारी किया गया है वहीं अगर सोमवार को भी भारी बारिश हुई तो यह सितंबर 1917 (285.6 एमएम) के रेकॉर्ड के करीब पहुंच जाएगा, जब 1901 के बाद सितंबर में सबसे अधिक बारिश हुई थी।
 इस साल मॉनसून ने देरी से दस्तक दी और जून में 33 प्रतिशत की कमी देखी गई, यह सोमवार को आधिकारिक रूप से खत्म होने वाली थी। जबकि पिछले 25 सालों में चार महीने की अवधि में सबसे अधिक बारिश हुई है। देशभर के आंकड़े को देखें तो इस दौरान 956 .1 मिलीमीटर यानी 9 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है।

आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय मोहपात्रा के मुताबिक, अगले चार-पांच दिनों में मॉनसून की वापसी के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। बिना ब्रेक लिए मॉनसून पिछले दो महीने से सक्रिय है। अगस्त और सितंबर में पिछले 31 सालों में सबसे अधिक बारिश हुई है। जबकि सोमवार तक अगस्त-सितंबर की अवधि में 58 सालों (1961) का रेकॉर्ड टूट सकता है।

आईएमडी के मुताबिक, इसके पीछे तीन वजहें हैं। मोहपात्रा ने कहा, 'पैसिफिक ओसन में अल नीनो का प्रभाव, जिसने मॉनसून को बढ़ावा दिया। उसी वक्त हिंद महासागर में मॉनसून के लिए स्थितियां बन रही थीं। तीसरी वजह यह है कि बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनना।' आईएमडी के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि अगले 10 दिनों तक कम दबाव का क्षेत्र बना रहेगा, विशेषकर मध्य प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में।

जुलाई के तीसरे सप्ताह से विशेषकर मध्य भारत में ज्यादा बारिश हुई है। शुरुआत में जहां 20 प्रतिशत बारिश की कमी देखी गई, वहीं मौसम के अंत तक 28 प्रतिशत का सरप्लस दर्ज किया गया। दक्षिण में नाटकीय स्थिति देखी गई। 19 जुलाई तक जहां बारिश में 30 प्रतिशत की कमी देखी गई थी और कई जिलों में सूखे की स्थिति पैदा हो गई। वहीं, सितंबर अंत तक क्षेत्र में 16 प्रतिशत का सरप्लस दर्ज हुआ। उत्तर-पश्चिम भारत में जहां अच्छी बारिश हुई है, जहां फिलहाल 3 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। हरियाणा, दिल्ली और पूर्वी उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक बारिश की कमी दर्ज की गई है।

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