पाक का नया ड्रामा, भारतीय विदेश मंत्री के रहते सार्क बैठक में नहीं पहुंचे शाह महमूद कुरैशी

न्यूयॉर्क
पाकिस्तान कश्मीर मामले पर पूरी दुनिया के सामने गुहार लगा रहा है, लेकिन उसे कामयाबी मिलती नजर नहीं आ रही है. अब न्यूयॉर्क में हो रही दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन(SAARC) के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान बौखलाए पाकिस्तान ने भारत की मौजूदगी की वजह से हिस्सा नहीं लिया.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी एस जयशंकर के संबोधन के दौरान इस बैठक में शामिल नहीं हुए. इस बैठक में शाह महमूद कुरैशी देरी से पहुंचे. जब वे पहुंचे तब तक विदेश मंत्री एस जयशकंर बैठक से बाहर निकल चुके थे.

एस जयशंकर इस मीटिंग को संबोधित कर रहे थे, लेकिन पाकिस्तान इस बैठक में जयशंकर के भाषण के बाद शामिल हुआ. एस. जयशंकर ने बैठक में कहा कि आतंकवाद का हर रूप में सफाया करना ना सिर्फ दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच सार्थक सहयोग के लिए बल्कि क्षेत्र के अपने अस्तित्व के लिए भी पूर्व शर्त है. उन्होंने कहा कि सार्क वास्तव में सिर्फ चूके हुए अवसरों की नहीं बल्कि जानबूझकर बाधाओं में फंसने की कहानी भी है. आतंकवाद उनमें से एक है.

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र से इतर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने छह देशों के समूह खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) में अपने समकक्षों से मुलाकात की और भारत और जीसीसी के संबंधों को और मजबूत करने पर विचार किया.

जयशंकर ने बुधवार को हुई बैठक के संबंध में ट्वीट किया कि प्रमुख साझेदारों- जीसीसी के महासचिव अब्दुल्लतीफ बिन अब्दुल्ला अज जायानी, ओमान के विदेश मंत्री यूसुफ बिन अलावी बिन अब्दुल्ला और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के विदेश राज्यमंत्री अनवर मोहम्मद गर्गश के साथ बैठक की. संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए काफी सार्थक बैठक हुई.

बैठक में हिस्सा लेने वालों में कुवैत के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख सबाह खालिद अल-हमाद अल सबाह, जीसीसी के महासचिव अब्दुल्लतीफ बिन राशिद अल-जायानी, ओमान के विदेश मंत्री यूसुफ बिन अलावी बिन अब्दुल्ला और यूएई के विदेश राज्यमंत्री अनवर मोहम्मद गर्गश थे. बैठक में जीसीसी के सदस्य देशों तथा भारत के दोस्ताना रिश्तों की समीक्षा की गई.

बैठक की सह-अध्यक्षता ओमान के विदेश मंत्री यूसुफ बिन अलावी बिन अब्दुल्ला और जयशंकर ने की. यूसुफ बिन अलावी बिन अब्दुल्ला वर्तमान में जीसीसी के मंत्रिपरिषद के अध्यक्ष भी हैं. वर्ष 1981 में गठित जीसीसी अपने सदस्य छह देशों में आर्थिक, सुरक्षा, सांस्कृतिक और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देता है. जीसीसी देशों के पास दुनिया का लगभग आधा तेल भंडार है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *