पाकिस्तान में है ह‍िगलांज मंदिर, मान्यता है यहीं गिरा था देवी सती का सिर

हालांकि भारत और पाकिस्‍तान के बीच बहुत ही तनावपूर्ण हालात चल रहे हैं, लेकिन दोनों देशो के बीच आज भी ऐसी कई मिसाल देखने को मिलती है जो ये साबित करती है कि दोनों देश की बीच राजनीतिक संबंध चाहे कितने भी तनावपूर्ण क्‍यों न हो लेकिन जब बात आस्‍था पर आती है तो दोनों देश एक दूसरे के प्रति सम्‍मान रखते हैं।

नवरात्रि आने में कुछ समय ही शेष रहा है और जहां भारत 9 दिन तक देवी के जयकारें लगेंगे, वहीं प‍ाकिस्‍तान में जय माता दी की आवाज सुनाई देती है। माना जाता है कि मां के 51 शक्तिपीठ में से एक सबसे महत्‍वपूर्ण पीठ सरहद पार पाकिस्‍तान में भी है। हम बात कर रहें हैं हिंगलाज भवानी शक्तिपीठ की जो बलूचिस्‍तान में हिंगोल नदी किनारे बसे हिंगलाज क्षेत्र में है। इस शक्तिपीठ को धरती पर देवी माता का पहला स्थान माना जाता है जो पाकिस्तान में स्थित है।

यहां गिरा था देवी सती का सिर
जब देवी सती ने आत्मदाह किया तो भगवान शिव उनके शव को लेकर ब्रह्मांड में घूमने लगे और तांडव करने लगे। शिव के मोह को भंग करने के लिए और ब्रह्माण्ड को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के देह के टुकड़े कर दिए। जहां-जहां सती के अंग गिरे, वो स्थान शक्तिपीठ कहलाए। मान्यता है कि हिंगलाज शक्तिपीठ में देवी सती का सिर गिरा था। कहा जाता है कि हर रात इस स्थान पर सभी शक्तियां एकत्रित होकर रास रचाती हैं और दिन निकलते ही ये माता हिंगलाज के भीतर समा जाती हैं।

नानी का हज
सिर्फ हिंदू पाकिस्तान के मुस्लिम भी हिंगलाज माता पर आस्था रखते हैं और मंदिर की सार-सम्‍भाल में अपना योगदान देते हैं। वे इस मंदिर को नानी का मंदिर कहते है। एक प्राचीन परंपरा का पालन करते हुए, यहां के कुछ स्थानीय मुस्लिम जनजातियां, इस मंदिर को अपने तीर्थयात्रा का हिस्‍सा मानते हैं और इसे 'नानी का हज' कहते हैं।

हिंदू-मुस्लिम मिलकर बनाते है नवरात्रि
नवरात्रों के दौरान यहां मंदिर में भक्‍तों का तांता लगा रहता है। 9 दिन तक देश-विदेशों से भक्‍तजन यहां माता के दुलर्भ दर्शन करने पहुंचते हैं। नवरात्रि के दौरान भी मंदिर में हिंदू-मुस्लिम का कोई फर्क नहीं दिखता है। अधिकतर बलूचिस्तान-सिंध के लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं।

51 शक्तिपीठ में से एक है हिंगलाज माता मंदिर
हिंगलाज माता मन्दिर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगोल नदी के तट पर स्थित है। ये मंदिर मकरान रेगिस्तान के खेरथार पहाड़ियों की एक शृंखला के अंत में है। मंदिर एक छोटी प्राकृतिक गुफा में बना हुआ है। जहां एक मिट्टी की वेदी बनी हुई है। देवी की कोई मानव निर्मित छवि नहीं है। बल्कि एक छोटे आकार के शिला की हिंगलाज माता के प्रतिरूप के रूप में पूजा की जाती है। हिंगलाज मंदिर जिस क्षेत्र में है, वो पाकिस्तान के सबसे बड़े हिंदू बाहुल्य वाले इलाकों में से एक है।

 

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