पांच साल तक रहा बेस्ट, भारतीय टीम का वो विकेटकीपर जो अचानक चमका

नई दिल्ली 
बात उन दिनों की है, जब भारतीय टीम 1932 में टेस्ट क्रिकेट में कदम रखने के बाद इंग्लैंड के हाथों लगातार हार रही थी. इसी कड़ी में 1947-48 का दौरा भी शामिल है, जब पहली बार भारत ने ऑस्ट्रेलिया का सामना किया. तब पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेल रही भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया की धरती पर सिर्फ एक टेस्ट ड्रॉ करा पाई थी और बाकी चारों मुकाबले में उसे मात मिली.

1947-48 की उस सीरीज को भारतीय टीम की नाकामी की वजह से भले न याद किया जाता हो, लेकिन उस दौरे में एक छोटे कद का विकेटकीपर अचानक चमका था, जो अगले पांच वर्षों तक भारत का पसंदीदा विकेटकीपर बना रहा. जी हां! बात हो रही है विकेटकीपर प्रबीर कुमार सेन की, जो खोखन सेन के नाम से क्रिकेट की दुनिया में जाने गए. (खोकन- एक आम बंगाली उपनाम है, जो उम्र में छोटा हो. दरअसल, उन्हें खोकन की जगह खोखन कहा जाने लगा था)

भारतीय टीम ने अपनी शुरुआती 12 टेस्ट मैचों में 6 विकेटकीपरों को आजमाया था. 13वें टेस्ट में एक ऐसा विकेटकीपर आया, जो 14 टेस्ट मैचों में विकेट के पीछे अपनी भूमिका में खरा उतरा. दरअसल, 1947-48 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए जेके ईरानी के रहते दूसरे विकेटकीपर के तौर पर खोखन सेन को ले जाया गया था. टूर मुकाबलों में शादार विकेटकीपिंग को देखते हुए खोखन को सीरीज के बीच में ही तीसरे टेस्ट में पदार्पण का मौका दिया गया.

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