पश्चिम बंगाल की ‘आखिरी जंग’ में मिडल क्लास, मुस्लिम मतदाताओं के हाथ जीत की चाबी

 
कोलकाता 

लोकसभा चुनाव के आखिरी राउंड में पश्चिम बंगाल में भी 9 सीटों पर मतदान हो रहा है। कोलकाता और उसके आसपास की इन सीटें पर एक तरह से इस बात का भी टेस्ट होगा कि शहरी मिडल क्लास किसे वोट कर रहा है। माना जा रहा है कि बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के मिडल और अपर मिडल क्लास परिवारों तक अपनी पहुंच बना ली है। लेकिन, जिन 9 सीटों पर वोटिंग हो रही है, उनमें से कई सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता भी निर्णायक स्थिति में हैं। 
 

2014 की बात करें तो इन सभी 9 सीटों, कोलकाता दक्षिण, कोलकाता उत्तर, जाधवपुर, दमदम, बारासात, बसीरहाट, जयनगर, मथुरापुर और डायमंड हार्बर में 2014 में तृणमूल कांग्रेस और लेफ्ट को ऐंटी-इन्कम्बैंसी का नुकसान उठाना पड़ा था। तब दोनों पार्टियों के वोट शेयर में कमी आई थी, जबकि बीजेपी के मत प्रतिशत में इजाफा हुआ था। 
 
कोलकाता दक्षिण और कोलकाता उत्तर सीट पर 2014 में बीजेपी को 25 फीसदी मत मिले थे और वह दूसरे नंबर पर रही थी। अब 5 साल बाद बीजेपी ने अपनी ग्रोथ को और बढ़ाया है। माना जा रहा है कि शिक्षित मिडल क्लास का बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकरण हुआ है। हालांकि पिछले कुछ दिनों के इवेंट्स का ध्यान रखना होगा। खासतौर पर ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने का विपरीत असर हो सकता है। 
 
2011 से ही सिमट रहा है लेफ्ट का वोट शेयर 
मोदी और ममता में जंग के बीच वामपंथी दल भी अपने वोट शेयर को बचाए रखने की जुगत में हैं, जिनका वोट 2011 से लगातार गिर रहा है। हालांकि 2016 में लेफ्ट के वोट प्रतिशत में राजारहाट-गोपालपुर और दमदम जैसी सीटों पर मामूली इजाफा हुआ था, लेकिन यह कांग्रेस के साथ गठबंधन के चलते हुआ था। 

ममता पर बीजेपी लगाती है तुष्टीकरण के आरोप 
तब से अब तक परिस्थितियां खासी बदली हैं और बीजेपी ने लेफ्ट और कांग्रेस को मुख्य विपक्ष की रेस में पीछे करते हुए बढ़त बना ली है। 2018 के पंचायत चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस और लेफ्ट से अधिक सफलता हासिल की थी। बीजेपी की ओर से ममता के खिलाफ तुष्टीकरण की राजनीति के जो आरोप लगाए जा रहे हैं, उसका समर्थन करने वाले लोगों में शहर और उसके बाहरी इलाकों में बसे शरणार्थी बड़े पैमाने पर शामिल हैं। 

एंप्लॉयीज की नाराजगी ममता पर पड़ेगी भारी 
इसके अलावा नौकरियों की कमी और राज्य सरकार के एंप्लॉयीज के बकाया वेतन भत्ते भी तृणमूल की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालांकि दूसरी तरफ शहरी गरीब, छोटे कारोबारी और 40 साल से अधिक मिडल क्लास बंगाली ममता दीदी के साथ ही नजर आते हैं। 

7 सीटों पर 20 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर 
पश्चिम बंगाल की जिन 9 सीटों पर वोटिंग है, उनमें से 7 पर 20 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। सबसे ज्यादा बसीरहाट में 47 फीसदी और सबसे कम कोलकाता दक्षिण में 21 पर्सेंट मुस्लिम आबादी है। जाधवपुर में भी 32 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं, इस सीट पर ममता ने 1984 में सोमनाथ चटर्जी को पराजित किया था। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *