पपीते के पत्ते हैं डेंगू का उपचार

मॉनसून आने को है। बरसात का मौसम जितना सुहावना लगता है, इस मौसम में पनपने वाले मच्छर उतने की बुरे लगते हैं। इन मच्छरों के कारण हर साल लाखों की संख्या में लोग मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू जैसे बुखारों से पीड़ित होते हैं। कई मरीजों में यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती है और मरीज की जान भी चली जाती है। यहां जानें, बरसात के इस मौसम में ऐसा कौन-सा घरेलू तरीका अपनाएं कि डेंगू आपके आस-पास भी ना फटके…

-कहने को तो डेंगू सिर्फ एक बुखार है। लेकिन यह बुखार जानलेवा भी साबित होता है। क्योंकि इस बुखार में पेशंट की प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिरने लगती हैं। इससे मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता और ब्लड को बहने से रोकने की क्षमता कम होने लगती है।

-अब आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर प्लेटलेट्स होती क्या हैं और हमारे शरीर के लिए क्यों जरूरी होती हैं? तो हम आपको बता दें कि प्लेटलेट्स महीन रक्त कोशिकाएं होती हैं।

– ये हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने में तो सहायता करती ही हैं। साथ ही बहते हुए खून पर थक्का या पपड़ी जमाने का कार्य भी ये प्लेटलेट्स ही करती हैं।

-ताकि शरीर से खून बहना बंद हो जाए। डेंगू फीवर के दौरान भी अक्सर नाक से खून आना, मसूड़ों से खून आना या यूरिन और पॉटी के दौरान खून आने जैसी समस्या हो जाती हैं।

-पपीते के पत्तों में विटमिन-सी और ऐंटिऑक्सीडेंट्स बहुत अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। आपको पता होगा कि विटमिन-सी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी होती है। वहीं ऐंटिऑक्सीडेंट्स वायरल और वायरस को मारने का काम करते हैं।

-डेंगू का इलाज करने के लिए आपको पपीते के पत्तों का जूस तैयार करना होगा। इसका टेस्ट बेहतर करने के लिए आप इसमें शहद या दूसरे फलों का जूस भी कुछ मात्रा में मिला सकते हैं।

-पपीते के पत्तों का जूस बनाने के लिए आपको पपीते के ताजे पत्तों का उपयोग करना होगा। इन पत्तों को धुलकर काट लें और मिक्सी में पीसकर जूस तैयार कर लें। फिर एक छोटे गिलास जूस में 2 से 3 चम्मच शहद मिला सकते हैं।

-यदि मिक्सी की व्यवस्था नहीं है तो आप सिल-पत्थर पर या मूसल और इमामजिस्ता की सहायता से भी इनका जूस तैयार कर सकते हैं। इसके बाद इसमें किसी अन्य फल का जूस या शहद मिलाकर उपयोग करें।

-डेंगू के मरीज को दिन में तीनों समय थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पपीते के पत्तों का जूस दिया जा सकता है। ताकि उनके शरीर को लगातार शक्ति मिलती रहे और प्लेटलेट्स की संख्या कम ना हो पाए।

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