पढ़ाने के साथ साइंटिफिक उद्यम शुरू कर सकेंगे प्रोफेसर

नई दिल्ली                                                                     
आने वाले समय में विश्वविद्यालयों में फैकल्टी सदस्य पढ़ाने के साथ-साथ कोई साइंटिफिक उद्यम शुरू करके उसमें हिस्सेदार भी बने रह सकते हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) हैदराबाद विश्वविद्यालय में चल रही फैकल्टी उद्यम नाम की योजना को देश के सभी विश्वविद्यालयों में लागू करने की तैयारी में है। 

दरअसल उच्च शिक्षा को अधिक व्यावहारिक और रोजगारपरक बनाने के लिए यूजीसी ने एक वर्किंग ग्रुप बनाया था। इस वर्किंग ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में इस योजना की सिफारिश की है। योजना में कहा गया है कि संस्थान में पांच साल से अधिक की सेवा दे चुके फैकल्टी सदस्य साइंटिफिक एंटरप्राइज खोलने के लिए आवेदन कर सकेंगे। 

साइंटिफिक एंटरप्राइज से तात्पर्य ऐसे उद्यम से है,जिसमें वैज्ञानिक शोधों,आविष्कार, नवाचार और विशेषज्ञता को ऐसे व्यावहारिक तकनीकी या उत्पाद में परिवर्तित किया जाता है, जो बेचा जा सके। योजना के मुताबिक कुलपति ऐसे किसी उद्यम की मंजूरी देने के लिए सक्षम प्राधिकारी होंगे। इच्छुक फैकल्टी को कुलपति के सामने एंटरप्राइज खोलने के लिए आवेदन करना होगा। एक से अधिक शिक्षक मिलकर भी ऐसे एंटरप्राइज खोल सकेंगे। कुलपति से मंजूरी मिल जाने के बाद शिक्षक को शुरुआत में इस उद्यम को चलाने के लिए अधिकतम तीन वर्ष की छुट्टी दी जाएगी। योजना की शर्त है कि एंटरप्राइज को एक कंपनी के तौर पर बनाना होगा। बाद में इस कंपनी को दूसरी कंपनी से मर्ज किया जा सकेगा, बेचा जा सकेगा और आईपीओ भी लाया जा सकेगा। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर वैश्विक संस्थानों में ऐसी योजना पहले से मौजूद है। इससे ना केवल शोधकर्ताओं को नवाचार और आविष्कारों को वाणिज्यिक स्वरूप देने में सहायता मिलेगी, बल्कि फैकल्टी सदस्यों के उद्यमिता कौशल को भी बढ़ावा मिलेगा। यूजीसी ने इस ड्राफ्ट रिपोर्ट पर विश्वविद्यालयों से सुझाव आमंत्रित किए हैं।  

10 साल पहले केंद्र ने दी मंजूरी

वर्ष 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों को सेवा में रहते हुए पढ़ाने के साथ विज्ञान एवं इंजीनियरिंग से जुड़े उद्यमों को शुरू करने की मंजूरी दी गई थी।  

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