पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने दबा ली केन्द्र सरकार से जारी करोड़ों की राशि

भोपाल
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के नाम पर केन्द्र सरकार से जारी करोड़ों की राशि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने दबा ली और बदले में ब्याज जुर्माना भी नहीं भरा। विभाग ने केन्द्र सरकार के नियमों और मापदंडों की भी धज्जियां उड़ाई। इस पर केन्द्र सरकार ने फटकार लगाई तो विभाग ने यह कहकार सफाई दी कि राज्य सरकार द्वारा बजट प्रावधान कम किया गया था और बाद में अनुपूरक बजट में प्रावधान कराये जाने के कारण राशि जारी करने में देर हुई।

जानकारी के अनुसार केन्द्र सरकार ने वर्ष 2016-17 के लिये पंचायत राज और विकास विभाग को 22849.69 करोड़ और वर्ष 2017-18 में 25038.26 करोड़ का आवंटन किया था। दोनों विभागों के लिये जारी 47887.95 करोड़ में 42712.85 करोड़ खर्च किये जा सके और 5175.10 करोड़ बचे रहे गये। इसके पीछे बताया गया कि विभागों ने समय पर राशि जारी नहीं की। वहीं महालेखाकार ग्वालियर ने जांच में पाया गया है कि  प्रधानमंत्री आवास और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) मद में राज्य सरकार ने केन्द्र के नियमों की धज्जियां उड़ाई हैं। विभाग ने अनुदान राशि 2549.90 करोड़ का 102.65 करोड़ दांडिक ब्याज जुर्माना नहीं चुकाया है।

 प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) योजना में नियम हैं कि राज्य सरकार को भारत सरकार से प्राप्त राशि तीन दिनों के भीतर राज्य स्तरीय नोडल खाते में अंतरण करना होगा। इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन योजना में राज्य सरकार को भारत सरकार से प्राप्त राशि को 15 दिनों के भीतर जिलों को अंतरण करना होगा। ऐसा नहीं करने पर राज्य सरकार को  प्रतिवर्ष 12 प्रतिशत की दर से कार्यान्वयन एजेंसियों को निधियों की मूल धनराशि के साथ दांडिक ब्याज भुगतना होगा।

महालेखाकार की ताजा जांच रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि  वर्ष 2017-18 हेतु प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) अन्तर्गत प्राप्त अनुदान राशि 2549.90 करोड़ जारी करने में विभाग ने 23 से 155 दिन लगा दिये। ऊपर से योजना की राशि पर 94.20 करोड़ का दाण्डिक ब्याज भी नहीं दिया। इसी तरह  वर्ष 2017-18 हेतु स्वच्छ भारत मिशन योजना ग्रामीण अन्तर्गत प्राप्त अनुदान की राशि 395.45 करोड़ जारी करने में लगभग 18 से 82 दिन का विलंब पाया गया परंतु राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार के निर्देशानुसार उक्त योजना की राशि पर 8.45 करोड़ का दंड ब्याज का भुगतान करना नहीं पाया गया। दोनों योजनाओं का 102.65 करोड़ का दाण्डिक ब्याज नहीं दिया गया।

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