नोबल विजेता वैज्ञानिक का दावा- लॉकडाउन का निर्णय गलत, इससे मौत का आंकड़ा बढ़ा

 
रोम

नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक माइकल लेविट ने दावा किया है कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण मौतों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि लोगों को घरों के अंदर कैद रखने का निर्णय उनके अंदर तनाव पैदा करने जैसा है। बता दें कि स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के इस वैज्ञानिक ने कोरोना वायरस महामारी के शुरूआती दौर को लेकर एकदम सटीक भविष्यवाणी की थी।

प्रोफेसर लेविट ने यह भी कहा कि प्रोफेसर नील फर्ग्यूसन की एक थ्योरी के अनुसार इससे मौत का अनुमान 10 से 12 गुना बढ़ गया है। उन्होंने दावा किया कि लॉकडाउन के कारण महामारी के प्रसार पर तो रोक नहीं लगा जबकि इसके कारण लाखों लोगों की आजीविका नष्ट हो गई।

प्रोफेसर लेविट ने कहा कि लॉकडाउन ने कोरोना वायरस से मानव जीवन की रक्षा नहीं की है, बल्कि इससे नुकसान हुआ है। हां, इससे सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों में कमी आई है, लेकिन घरेलू अपराध खूब बढ़े हैं। बता दें कि प्रोफेसर लेविट को 2013 में केमेस्ट्री का नोबल पुरस्कार मिला था।

वहीं प्रख्यात फिजिशियन जेपी मॉर्गन ने रणनीतिकार मार्को कोलानोविक ने कहा कि सरकारों ने त्रुटिपूर्ण वैज्ञानिक पत्रों के आधार पर लॉकडाउन लागू करने का निर्णय लिया, जिससे उसकी कार्यकुशलता प्रभावित हुई और लॉकडाउन का प्रभाव भी कम देखने को मिला। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन को हटाए जाने के बाद से संक्रमण की दर में गिरावट आई है, यह सुझाव है कि वायरस की अपनी गतिशीलता है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि डेनमार्क उन देशों में शामिल है, जिन्होंने स्कूलों और शॉपिंग मॉल के फिर से खोले जाने के बाद एक व्यक्ति से दूसरे को संक्रमण फैलने के दर में गिरावट जारी है, जबकि लॉकडाउन के नियम आसान होने के बाद जर्मनी की दर ज्यादातर 1.0 से नीचे बनी हुई है।

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