नेपाल को मिला मौका, कालापानी पहुंचे आर्मी चीफ

कालापानी
भारत-चीन तनाव के बीच नेपाल के आर्मी चीफ पूर्ण चंद्र थापा ने विवादित कालापानी का दौरान किया। इस दौरान आर्मी चीफ के साथ भारत सीमा पर तैनात नेपाल सशस्त्र पुलिस बल के महानिरीक्षक शैलेंद्र खनाल भी थे। दोनों अधिकारियों ने भारत सीमा पर ताजा हालात का जायजा लिया। बता दें कि आज ही नेपाली संसद के ऊपरी सदन में विवादित नक्शे पर वोटिंग होनी है। इस बीच नेपाल आर्मी चीफ के दौरे को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

विवादित कालापानी एरिया में गए नेपाली आर्मी चीफ
सूत्रों के मुताबिक नेपाल के आर्मी चीफ पूर्णचंद्र थापा विवादित कालापानी एरिया में गए। उनके साथ नेपाल सशस्त्र प्रहरी बल के प्रमुख भी थे। नेपाल सशस्त्र प्रहरी बल ही बॉर्डर सिक्योरिटी का जिम्मा देखता है। नेपाल आर्मी चीफ आज सुबह छांगरू एरिया गए। यह कालापानी से 13 किलोमीटर पूर्व की तरफ है। नेपाल सशस्त्र प्रहरी बल ने यहां पर हाल ही में नए पोस्ट बनाई है जो 13 मई को ही स्थापित की गई।

नेपाल आर्मी की बनाई सड़क का किया निरीक्षण
सूत्रों के मुताबित नेपाल आर्मी चीफ ने उस सड़क का भी इंस्पेक्शन किया जो हाल ही में बनाई गई है। यह सड़क नेपाल के दार्चूला जिले को ब्यास गांव से जोड़ती है जो तिंकर दर्रे के पास है। नेपाल का दार्चूला एरिया उत्तराखंड के धारचूला के ठीक सामने है। इस सड़क को नेपाल आर्मी ने बनाया है। नेपाल आर्मी चीफ का इस इलाके में यह पहला दौरा है।

नेपाली सेना प्रमुख का दौरा इसलिए अहम
यह दौरा इसलिए अहम माना जा रहा है कि क्योंकि कुछ दिन पहले ही नेपाल ने अपने नए नक्शे को मंजूरी दी है। जिसमें कालापानी के साथ ही भारत के इलाके लिपुलेख और लिम्पयाधुरा को भी नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। कालापानी शुरू से ही भारत और नेपाल के बीच विवाद का केंद्र रहा है। कालापानी को भारत काली नदी का उद्गम मानता है। जबकि नेपाल का मानना है कि काली नदी का उदगम लिम्पयाधुरा से निकलने वाली कूटी-यांग्ती नदी से होता है।

1990 से ही कालापानी पर दावा कर रहा नेपाल
नेपाल ने 1990 से ही कालापानी पर अपना दावा जताना शुरू कर दिया था। 8 मई को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लिपुलेख के पास तक की एक सड़क का उद्घाटन किया। यह सड़क बीआरओ ने बनाई है। इसके बनने के साथ ही पहली बार चीन बॉर्डर के इतना करीब तक गाड़ियां जाने का रास्ता बना। लिपुलेख दर्रे से पांच किलोमीटर पहले तक सड़क बन गई है। इसके उद्घाटन के बाद से ही नेपाल ने इस पर आपत्ति जतानी शुरू कर की।

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