नेपाल की जिद से बांध की मरम्मत नहीं , बिहार में बाढ़ का खतरा

पटना
सीमा विवाद के बीच नेपाल ने भारत की ओर से किए जा रहे बांध मरम्मत के कार्य को रोक दिया है। बिहार के अफसरों की ओर से बातचीत की पेशकश को भी नेपाल ने ठुकरा दिया है और अपनी जिद पर अड़ा है। इस वजह से बिहार में 2017 की तरह बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। नेपाल की इस हरकत से बिहार में बने बाढ़ के खतरे को टालने के लिए क्या किया सकता है इसको लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को बैठक करेंगे। सीएम नीतीश की ओर से बुलाई गई बैठक में राज्य के जल संसाधन विभाग और अन्य उच्च स्तरीय अधिकारी शामिल होंगे।

इससे पहले नेपाल सरकार ने पूर्वी चम्पारण के ढाका अनुमंडल में लाल बकेया नदी पर बन रहे तटबंध के पुर्निर्माण कार्य को रोक दिया है। बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बताया कि नेपाल गंडक बांध के लिए मरम्मत कार्य की अनुमति नहीं दे रहा है। जबकि ललबकेया नदी 'नो मैंस लैंड' का हिस्सा है। इसके अलावा नेपाल ने कई अन्य स्थानों पर मरम्मत का काम रोक दिया है। पहली बार हम लोग ऐसी समस्या का सामना कर रहे हैं। हम मरम्मत कार्य के लिए सामग्री तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं।

संजय झा ने आगे कहा कि अगर हमारे इंजीनियरों के पास बाढ़ से लड़ने वाली सामग्री नहीं पहुंचेगी तो बांध की मरम्मत का काम प्रभावित होगा, अगर नेपाल में भारी वर्षा के कारण गंडक नदी का जल स्तर बढ़ता है तो यह एक गंभीर समस्या पैदा कर देगा।

बिहार सरकार के मंत्री ने कहा कि गंडक बैराज के 36 द्वार हैं, जिनमें से 18 नेपाल में हैं। भारत के हिस्से में पहले से 17वें फाटक तक के बांध की हर साल की तरह इस साल भी मरम्मत की जा चुकी है। वहीं नेपाल के हिस्से में पड़ने वाले 18वें से लेकर 36वें फाटक तक बने बांध की मरम्मत नहीं हो सकी है। नेपाल बांध मरम्मत के लिए सामग्री ले जाने नहीं दे रहा है। नेपाल उस क्षेत्र में अवरोध डाल दिए हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है।

2017 में नेपाल के चलते बिहार में आया था जल प्रलय
नेपाल बांध के निर्माण स्थल को अपनी जमीन बताकर जबरन विवाद पैदा कर रहा है। ललबकेया नदी का पश्चिमी तटबंध 2017 में आयी प्रलयंकारी बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसकी मरम्मति का कार्य भी चलता रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इससे पहले जब भी नेपाल बांध की मरम्मती के काम में अडंगा लगाता था तब भारतीय और नेपाली अधिकारी मिल बैठ मामले को सुलझा लेते थे। लेकिन इस साल मामला सुलझाने के बजाय नेपाली सशस्त्र सीमा प्रहरी ही मामले को और उलझाने में लगे हैं।

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