निर्भया केस: चार दोषियों को एक साथ फांसी, तिहाड़ के इतिहास में पहली बार ऐसा

 
नई दिल्ली 

निर्भया रेप केस के दोषियों को फांसी से बचाने के लिए वकील एपी सिंह की ओर से कई हथकंडे अपनाए गए. चारों दोषियों को फांसी से बचाने के लिए एपी सिंह के द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का रुख अपनाया गया लेकिन इनमें एक भी काम नहीं आया. तिहाड़ जेल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि जब चार दोषियों को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया. इससे पहले 1982 में रंगा-बिल्ला को एक साथ फांसी दी गई थी.

निर्भया के चारों दोषियों विनय-मुकेश-पवन-अक्षय को फांसी देने के लिए तिहाड़ के फांसी घर के कुएं को चौड़ा किया गया था. जिस जेल में ये चारों ठहरे थे, उससे करीब 200 कदम की दूरी पर फांसी घर है जहां कड़ी सुरक्षा में उन्हें ले जाया गया और फिर फांसी के फंदे पर लटकाया गया.

इन चारों की फांसी से पहले तिहाड़ जेल में इन्हें फांसी पर लटकाया जा चुका है…

1982: रंगा-बिल्ला

1983: मोहम्मद मकबूल भट्ट

1985: करतार सिंह-उजागर सिंह

1989: सतवंत सिंह-केहर सिंह

2013: अफजल गुरु

जहां पर फांसी दी गई, वहां 500 गज के एरिए में एक कुआं बना है जिसकी गहराई 12 फीट है. फांसी के वक्त जेल सुपरिडेंटेट, असिस्टेंट जेल सुपरिडेंटट, वार्डर और तमिलनाडु पुलिस के जवान मौके पर मौजूद रहे. इसके अलावा मेडिकल अफसर, डीएण, एडीएम भी वहां पर रहे. इन सभी की मौजूदगी में चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया गया, जिसके बाद उनकी मृत्यु की पुष्टि की गई.

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