निगम-मंडल की आनाकानी, सरकार को जमा पूंजी उधार देने से खींच रही हाथ
भोपाल
फायदे में चल रहे एक दर्जन से अधिक निगम मंडलों ने राज्य सरकार को उधार राशि देने से हाथ खींच लिये हैं। वित्त विभाग ने इन संस्थाओं पर एक बार फिर दबाव बनाया है और जमा राशि का डिटेल मांगा है। सरकार पौने दो लाख करोड़ के घाटे में है। वित्तीय अनुशासन बनाये रखने के लिये इस वित्तीय वर्ष में करीब 15 हजार करोड़ का कर्ज आरबीआई सहित प्राइवेट सेक्टर से लिया जा चुका है। सरकार को कर्ज के नाम पर साढ़े आठ प्रतिशत तक ब्याज राशि चुकाना पड़ रही है।
कांग्रेस सरकार को अपने सभी वचन पूरा करने के लिये दो लाख करोड़ से अधिक का वित्तीय भार आ रहा है। अकेले किसान कर्जमाफी के नाम पर पचास हजार करोड़ का भार है। इसके अलावा युवा स्वाभिमान योजना में युवाओं को चार हजार रुपये देना, निराश्रितों को पेंशन बढ़ोत्तरी, पात्र विद्यार्थियों को दो पहिया वाहन उपलब्ध कराना, लैपटॉप के लिये राशि, साइकिल वितरण सहित कई अन्य वचन हैं जिनमें बड़ी मात्रा में धन की जरूरत है।
वित्तीय संसाधन जुटाने के लिये फाइनेंस डिपार्टमेंट ने राज्य के सभी निगम मंडलों के साथ बैठक की है। वित्त विभाग ने सुझाव दिया है कि निगम मंडल अपनी जमा राशि सरकार को कर्ज के तौर पर उपलब्ध कराये। बदले में बैंक के मापदंडों पर ब्याज दिया जायेगा। इसके लिये सभी निगम मंडलों से डिटेल मांगा गया है। लेकिन दो सप्ताह बाद भी किसी निगम मंडल ने कर्ज के तौर पर राशि देने में सहमति नहीं दी है।
लघु उद्योग निगम, लघु वनोपज संघ, नागरिक आपूर्ति निगम, खनिज निगम, मप्र राज्य वन विकास निगम, पर्यटन निगम, औद्योगिक केन्द्र विकास निगम, बीज एवं फर्म विकास निगम, मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड, मप्र श्रम कल्याण मंडल, एमपीआरडीसी, माध्यमिक शिक्षा मंडल, मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण आदि पर संस्थाओं की नजर।