निकहत से ट्रायल: मैरी कॉम बोलीं- लड़ने से नहीं डरती

नई दिल्ली 
छह बार की महिला विश्व चैंपियन मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम ने कहा कि वह ओलिंपिक क्वॉलिफायर के लिए ट्रायल्स में निकहत जरीन से भिड़ने से नहीं डरती क्योंकि यह महज एक 'औपचारिकता' भर होगी। जरीन ने चीन में अगले साल होने वाले ओलिंपिक क्वॉलिफायर के लिए भारतीय टीम के चयन से पहले मैरी कॉम (51 किग्रा) के खिलाफ ट्रायल मुकाबला आयोजित करने की मांग की। भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (BFI) ने कहा था कि मैरी कॉम (51 किग्रा) के हाल में रूस में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए वह छह बार की विश्व चैंपियन को चुनने का इरादा रखता है। 

मैरी कॉम ने यहां एक सम्मान समारोह के दौरान कहा, 'यह फैसला बीएफआई द्वारा लिया जा चुका है। मैं नियम नहीं बदल सकती। मैं सिर्फ प्रदर्शन कर सकती हूं। वो जो भी फैसला करेंगे, मैं उसका पालन करूंगी। मैं उससे (जरीन) से भिड़ने से नहीं डरती, मुझे ट्रायल्स से कोई परेशानी नहीं है।' उन्होंने कहा, 'मैंने सैफ खेलों के बाद से उसे कई बार हराया है लेकिन वह फिर भी मुझे चुनौती देती रहती है। मेरा मतलब है कि इसकी क्या जरूरत है? यह महज एक औपचारिकता है। बीएफआई भी जानता है कि ओलिंपिक में कौन पदक जीत सकता है।' 

मैरी कॉम ने कहा, 'लोग मुझसे ईर्ष्या करते हैं।' उन्होंने कहा, 'यह पहले भी मेरे साथ हो चुका है। रिंग में प्रदर्शन करो, यही सही चीज है। बीएफआई हमें विदेशी दौरों पर भेजता है इसलिए स्वर्ण पदक के साथ लौटो और खुद को साबित करो।' मैरी कॉम ने कहा, 'मैं उनके खिलाफ नहीं हूं। वह भविष्य में अच्छी हो सकती हैं, उसे अनुभव लेना चाहिए और उच्च स्तर के लिए तैयारियों पर ध्यान लगाना चाहिए। मैं पिछले 20 वर्षों से रिंग में लड़ रही हूं।' 

पुरुष टीम के चयन के लिए बीएफआई ने फैसला किया कि विश्व चैंपियनशिप के पदकधारियों को सीधे पहले ओलिंपिक क्वॉलिफायर के लिए भेजा जाएगा। वहीं महिला वर्ग में बीएफआई ने पहले कहा था कि विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण और रजत पदक विजेता मुक्केबाजों का ही फरवरी में होने वाले ओलिंपिक क्वॉलिफायर के लिए सीधे चयन होगा। हालांकि बीएफआई ने अब जरीन की मांग पर अगले हफ्ते चयन समिति की बैठक बुलाने का फैसला किया है।

मैरी कॉम ने कहा कि चयन मानदंड में पुरुष और महिला वर्गों में नियम अलग अलग नहीं होने चाहिए। उन्होंने कहा, 'मैं इसकी परवाह नहीं करती। बीएफआई को फैसला करना चाहिए। इसमें लैंगिक समानता होनी चाहिए, पुरुषों और महिला वर्गों के लिए अलग नियम नहीं हो सकते।' 

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