नवरात्र के पहले दिन ही अयोध्या में नए मंदिर में विराजेंगे रामलला

अयोध्या
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने रविवार को कहा कि आगामी 25 मार्च यानी चैत्र नवरात्र के पहले दिन अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि परिसर में नए स्थान पर अस्थायी मंदिर में श्री रामलला विराजमान हो जाएंगे जिससे श्रद्धालुओं को पहले की तुलना में कम चलना होगा और निकट से दर्शन लाभ हो सकेगा। मौजूदा समय में रामलला के दर्शन 52 फुट की दूरी से एक या दो सैकेंड के लिए लोग कर पाते हैं, लेकिन ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि यह दूरी घटकर 26 फुट रह जाए और लोग एक से दो मिनट तक दर्शन का लाभ ले सकें तथा लोग आरती में भी शामिल हो सकें। 
 
राय ने रविवार को यहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित ‘अयोध्या पर्व’ के समापन समारोह को संबोधित करते हुए बताया कि अस्थायी मंदिर के निर्माण एवं रामलला की प्रतिमा को स्थानांतरित करने के लिए प्रशासन को 15 दिनों का वक्त दिया गया है। उन्होंने बताया कि 29 फरवरी को नृपेंद्र मिश्र के साथ भारत सरकार की कंपनी एन.बी.सी.सी. के पूर्व अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक अरुण कुमार मित्तल और निजी क्षेत्र की निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के प्रमुख इंजीनियर दिवाकर त्रिपाठी ने गर्भगृह एवं मंदिर परिसर का दौरा किया। लार्सन एंड टुब्रो ने श्रीराम मंदिर का निर्माण करने और इसके लिए कोई धन नहीं लेने की पेशकश की। 
 
इस बारे में हालांकि कोई भी निर्णय न्यासी मंडल की बैठक में लिया जाएगा। राय ने कहा कि हम चाहते हैं कि श्री रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर की आयु कम से कम 500 साल तक हो इसलिए मिट्टी की जांच होनी जरूरी है जिसका काम तकनीकी टीम कर रही है। मंदिर कंक्रीट का नहीं बनेगा क्योंकि कंक्रीट की उम्र अधिकतम सौ साल मानी जाती है। जहां तक लोहे की बात है, उसमें जंग लगने की संभावना अधिक होती है, लिहाजा मंदिर का निर्माण राजस्थान के गुलाबी बलुआ पत्थरों से किया जाएगा। राष्ट्रपति भवन भी इसी पत्थर से निर्मित है।

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