नई मोदी सरकार का पहला बजट, यह होगा ग्रोथ प्लान?

नई दिल्ली
नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार का पहला पूर्ण बजट आज वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। बजट से पहले सामने आए आर्थिक सर्वे से संकेत मिल रहे हैं कि नए बजट में प्राइवेट निवेश की मदद से रोजगार पैदा करने के साथ ही श्रम संबंधी कानून में जरूरी बदलाव, बेहतर टैक्स व्यवस्था और कम ब्याज दर जैसे बिंदुओं पर फोकस करते हुए सरकार देश की अर्थव्यवस्था को अगले स्तर पर ले जाना चाहेगी। वित्तमंत्री यह बजट ऐसे वक्त पेश करने जा रही हैं, जब कम विकास दर, रोजगार में कमी, मॉनसून की खराब शुरुआत, वैश्विक सुस्ती और ट्रेड वॉर जैसी चुनौतियां सामने हैं।
 

आर्थिक सर्वे में पेश किया गया अर्थव्यवस्था का ब्लूप्रिंट
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट से पहले गुरुवार को इकनॉमिक सर्वे पेश किया था। सर्वे में देश की अर्थव्यवस्था का ब्लूप्रिंट पेश किया गया। देश के 5 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए वार्षिक विकास दर हर साल 8 प्रतिशत होने का भी जिक्र है। मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने कहा, 'पिछले पांच साल में हमने बहुत से माइक्रो और मेक्रो लेवल के आर्थिक उपक्रम स्थापित किए हैं और अब हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से बदलाव के लिए तैयार है। इसकी मदद से अब आर्थिक वृद्धि, रोजगार और निर्यात को अगले स्तर पर पहुंचाया जा सकेगा।'

निर्मला सुबह 11 बजे पेश करेंगी बजट
नरेंद्र सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्ण बजट होगा। देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सुबह 11 बजे लोकसभा में बजट पेश करेंगी। बतौर वित्त मंत्री यह उनका पहला बजट होगा। मोदी सरकार के सामने बजट के जरिए गांव, गरीब, किसान, नौकरीपेशा, युवाओं को साधने की बड़ी चुनौती होगी। सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि उनकी प्राथमिकता किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने का है। युवाओं के लिए रोजगार और गांवों में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार पर भी बजट में कुछ ऐलान हो सकता है।

बदलती रहेगी विकास दर
मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए सर्वे में आर्थिक विकास दर का लक्ष्य 7 प्रतिशत रखा गया है, जो पांच साल में सबसे कम रही पिछले साल की विकास दर (6.8 प्रतिशत) से ज्यादा है। सुब्रमण्यन ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में विकास दर की बढ़ोत्तरी को लेकर ज्यादा कयास नहीं लगाए हैं, लेकिन इतना जरूर कहा है कि आने वाले वक्त में आर्थिक बदलावों के चलते विकास दर में बदलाव देखने को मिलते रहेंगे। अभी देखने को मिल रही आर्थिक मंदी को देखते हुए कुछ बिंदुओं पर खास ध्यान देकर यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। निर्यात को बढ़ावा देने, छोटी और सीमित संसाधनों वाली कंपनियों को रोजगार तैयार करने, नियमों को स्पष्ट करने और निवेश बढ़ाने जैसे कदम इस दिशा में कारगर हो सकते हैं।

मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी प्लानिंग
पिछले आर्थिक सलाहकारों की तरह ही सुब्रमण्यन भी व्यावहारिक स्तर पर अर्थव्यवस्था से जुड़े बदलावों के समर्थन में हैं और उनका मानना है कि इसकी मदद से सामाजिक बदलाव किए जा सकते हैं। टैक्स व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सर्वे में इमिग्रेशन काउंटर पर अलग डिप्लोमैटिक टाइप लेन से लेकर ज्यादा टैक्स चुकाने वालों को बोर्डिंग में विशेष सुविधाएं देने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। इतना ही नहीं, कई महत्वपूर्ण इमारतों, ऐतिहासिक स्थलों, सड़कों, ट्रेन्स, अभियानों, स्कूल-कॉलेज और यूनिवर्सिटी के नाम भी ऐसे महत्वपूर्ण चेहरों के नाम पर रखे जा सकते हैं। सुब्रमण्यन का कहना है कि इसका असर आम जन को यह संदेश देने में होगा कि 'ईमारदारी से टैक्स चुकाना, गर्व की बात है।'

उत्पादकता बढ़ाने पर जोर
एमएसएमई पॉलिसी और श्रम से जुड़े कानूनों में बदलाव जैसे सुझाव बेशक नए न हों, लेकिन इनमें नए स्तर पर रियल टाइम डेटा की मदद से नए विचारों और उत्पादकता बढ़ाने के विकल्प भी शामिल हैं। इस डॉक्यूमेंट में एक नैशनल डैशबोर्ड बनाने का सुझाव भी शामिल है जिससे न्यूनतम पारिश्रमिक जैसे बिंदुओं को स्पष्ट किया जा सके, जो फिलहाल करीब 2,000 रेट्स के साथ बहुत जटिल बन चुका है। सुब्रमण्यन ने सरकार को होने वाले नुकसान पर भी जोर देते हुए कहा है कि सरकार को ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि आयुष्मान भारत या पीएम-किसान योजना का लाभ राजकोष को नुकसान पहुंचाए बिना ही दिया जा सके।

छोटी कंपनियों के जरिए रोजगार
पड़ोसी देश चीन की अर्थव्यवस्था से कुछ उदाहरण लेते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने कहा है कि सरकार को निवेश बढ़ाने के लिए निवेश बढ़ाने के साथ, रोजगार पैदा करने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने चीन की शहरी और ग्रामीण कंपनियों के बीच संतुलन को तेजी से होने वाले विकास का आधार बताते हुए उम्मीद की है कि छोटे निवेशक भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ही जल्द ही रोजगार देने वाली स्थिति में आ जाएंगे। इसके लिए आवश्यकता पड़ने पर निवेश को प्रेरित भी किया जा सकता है। चीन के उदाहरण के साथ ही सुब्रमण्यन ने यह भी कहा कि हमेशा ज्यादा निवेश का अर्थ रोजगार ही नहीं होता।

बजट 2019 से ये उम्मीदें
बजट में नौकरीपेशा लोगों के लिए महत्वपूर्ण आयकर के मोर्चे पर कर स्लैब में बदलाव की उम्मीद की जा रही है। 2019-20 के अंतरिम बजट में 5 लाख रुपये तक की आय पर कर छूट देने की घोषणा की गई थी। साथ ही इसमें इसमें निजी क्षेत्र का निवेश, मांग और निर्यात बढ़ाने पर खास जोर होगा। उद्योग जगत की सभी कंपनियों के लिये कार्पोरेट कर की दर 25 प्रतिशत पर लाने की मांग है। अभी 250 करोड़ रुपये से ज्यादा के कारोबारियों को 30 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होता है। साथ ही बजट में अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों या आर्थिक रूप

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