देसी ‘एयर फोर्स वन’ में उड़ान भरेंगे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति, मिसाइल छू नहीं पाएगी जल्द ही

 
नई दिल्ली 

भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अब ऐसे अत्याधुनिक और हाइटेक विमानों में विदेश यात्रा कर पाएंगे जिनको दुश्मन की बुरी निगाहें छू भी नहीं पाएंगी। दरअसल, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए दो बोइंग 777 विमान को इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि उसपर मिसाइल हमले करना असंभव होगा। अमेरिका के राष्ट्रपति के लिए इस्तेमाल होने वाले एयर फोर्स वन की तर्ज पर ये विमान लार्ज एयरक्राफ्ट इन्फ्ररेड काउन्टर्मेशर (LAIRCM) यानी ऐसी तकनीक जिससे इन विमानों पर मिसाइलों से हमला संभव नहीं होगा, से लैस होंगे। इसके अलावा इन विमानों में सेल्फ प्रटेक्शन स्वीट भी होगा। इन दो विमानों की अनुमानित लागत करीब 1300 करोड़ रुपये होगी। इन विमानों को 'एयर इंडिया वन' या 'इडियन एयर फोर्स वन' का नाम दिया जा सकता है।  
 
इन दो बोइंग 777 विमानों को दुनियाभर के अडवांस्ड सिक्यॉरिटी सिस्टम जैसे- मिसाइल वॉर्निंग, काउंटर मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम और इनक्रिप्टेड सैटलाइट कम्यूनिकेशन जैसी सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। अगर इन विमानों में प्राइवेट आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाता है तो ये भी अमेरिकी राष्ट्रपति के चर्चित 'फ्लाइंग ओवल ऑफिस' जैसे ही हाइटेक होंगे। भारत के अनुरोध पर अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने दो बोइंग 777 विमानों की विदेशी मिलिटरी सेल को मंजूरी दे दी है। इन दोनों को खरीदने के लिए भारत को लगभग 1300 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। 

LAIRCM तकनीक क्या है 
इस तकनीक के जरिए मिसाइल हमले के डर को पूरा तरह से खत्म किया जा सकता है। इसके जरिए एक ऐसी लेजर बीम निकाली जा सकती है जो मिसाइल गाइडेंस सिस्टम को मात दे सकती है। इसके जरिए अडवांस्ड मिसाइल सिस्टम को भी चकमा दिया जा सकता है और इसके लिए क्रू को किसी प्रकार की हरकत करने की भी जरूरत नहीं होती है। इसका इस्तेमाल अमेरिकी नेवी ने अपने पेट्रोल जेट और CH-53 सुपर हेलिकॉप्टर के लिए शुरू किया था। 

कौन-कौन करता है इस्तेमाल 
अमेरिकी नेवी के अलावा, इस तकनीक का इस्तेमाल कई राष्ट्राध्यक्षों द्वारा किया जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति का 'एयर फोर्स वन' LAIRCM और डिफेंस सिस्टम का मिश्रण है। 2008 में ऑस्ट्रेलिया ने LAIRCM सिस्टम को अपने C-130J के लिए खरीदा था। इजरायल के पास अपना डिफेंस सिस्टम है, जो वह अपने राष्ट्राध्यक्ष और यात्री विमानों में इस्तेमाल करता है। फ्रांस के राष्ट्रपति का एयरक्राफ्ट कथित तौर पर इजरायली सिस्टम से लैस है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का विमान रूसी डिफेंस सिस्टम से लैस है। 

अमेरिका को उम्मीद-मजबूत होंगे भारत के साथ रिश्ते 
अमेरिका की डिफेंस सिक्यॉरिटी को-ऑपरेशन एजेंसी (डीएससीए) ने बुधवार को कहा, 'इस प्रस्तावित डील से अमेरिकी की विदेश नीति के साथ-साथ अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को बल मिलेगा। भारत जैसे मजबूत डिफेंस पार्टनर की सुरक्षा बढ़ाकर दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों को नया मुकाम मिलेगा। इंडो-पैसिफिक और साउथ एशिया क्षेत्र में राजनीति स्थिरता, शांति और आर्थिक प्रग्रति की दृष्टि से भारत बहुत महत्वपूर्ण है।' 

आपको बता दें कि इन विमानों में लार्ज एयरक्राफ्ट इन्फ्रारेड काउंटरमेजर्स (एलएआईआरसीएम) का इस्तेमाल होगा। इसका मकसद बड़े विमानों को पोर्टेबल या कंधे से फायर की गई मिसाइलों से बचाना है। विमान पर यह सिस्टम लगाने से विमान के क्रू को मिलने वाला वॉर्निंग टाइम बढ़ जाता है और फाल्स अलार्म रेट घट जाता है। इसके अलावा विमान खुद ही अडवांस्ड इंटरमीडिएट रेंज मिसाइल सिस्टम का जवाब दे सकता है। इसमें क्रू मेंबर्क को कुछ करने की भी जरूरत नहीं होती है। 

26 साल पुराने बोइंग 747 जंबो जेट को करेंगे रीप्लेस 
यहां आपको यह भी बता दें कि जनवरी 2018 में ही ये दोनों विमान भारत को मिल चुके हैं। फिलहाल ये दोनों विमान अमेरिका की बोइंग डिफेंस कंपनी के पास हैं, जहां इन्हें अडवांस और लेटेस्ट सिक्यॉरिटी और कम्यूनिकेशन सिस्टम से लैस किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इसी साल के अंत तक ये दोनों भारत आ जाएंगे। अभी भारत के राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की लंबी दूरी की यात्राओं में 26 साल पुराने बोइंग 747 जंबो जेट का इस्तेमाल किया जाता है। इन विमानों में अडवांस सेल्फ प्रोटेक्शन जैसी सुविधा नहीं है। 

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