दूषित पानी जेब पर पड़ता है बहुत भारी

 
नई दिल्ली

पीने के पानी की गुणवत्ता में कमी या उसे नजरअंदाज करना आपकी जेब पर काफी भारी पड़ सकता है। किसी गम्भीर बीमारी की वजह से साल में जितना आपका खर्च होता है उसका करीब 5 गुना दूषित पानी पीने की वजह से होने वाली बीमारियों पर खर्च होता है। सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र पर जी.डी.पी. का महज 10.2 फीसदी खर्च करती है लेकिन पानी से जुड़ी बीमारियों की वजह से होने वाला नुक्सान जी.डी.पी. के 6 फीसदी के बराबर है। 

बच्चों को बीमार करता दूषित पानी 
दूषित पानी का असर सभी पर पड़ता है लेकिन इससे बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। भारत में करीब 3.70 करोड़ लोग दूषित पानी से प्रभावित होते हैं जिसमें 15 लाख बच्चों की मौत केवल डायरिया के कारण हो जाती है। अस्पताल के चक्कर लगाने और बीमारी की वजह से आराम करने के कारण देश को सालाना 7.3 करोड़ कार्य दिवस का नुक्सान उठाना पड़ता है। इसकी मार से देश की अर्थव्यवस्था भी अछूती नहीं है। दूषित पानी की वजह से भारत को सालाना करीब 60 करोड़ डालर का नुक्सान उठाना पड़ता है। 

किसान और महिलाओं पर अधिक मार 
रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि गांव में रहने वाले लोगों को बढ़ते तापमान के बीच फसल उगाने और पशुओं का चारा जुटाने के लिए ज्यादा संघर्ष करना होगा। जबकि पानी लाने की जिम्मेदारी सम्भालने वाली महिलाओं को लम्बे शुष्क मौसम के दौरान पानी के लिए अधिक दूरी तय करनी पड़ेगी।

दूषित पानी से मारे जाते हैं 40 लाख लोग
आज दुनिया भर में डेढ़ अरब लोग पानी से वंचित हैं और 3 अरब के पास उचित साफ-सफाई और शौचालय नहीं हैं। लगभग 40 लाख लोग जिनमें ज्यादातर बच्चे शामिल हैं, दूषित पानी से होने वाली बीमारियों से मर जाते हैं। 

ऐसे हल्की हो रही जेब 

1.02 फीसदी कुल जी.डी.पी. का खर्च करती है सरकार देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर।
 06  फीसदी कुल जी.डी.पी. का सालाना हो जाता है नुक्सान दूषित पानी की बीमारियों पर।
70   प्रतिशत राशि खर्च होती है कुल स्वास्थ्य खर्च में से दूषित पानी से होने वाली बीमारियों पर।
 

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