दुनिया का सबसे बड़ा फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम बना रहा भारत

बढ़ते क्राइम रेट्स पर लगाम कसने के लिए भारत सरकार दुनिया का सबसे बड़ा फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम बनाने पर काम कर रही है। सभी राज्यों की पुलिस की पहुंच इस सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस तक होगी। इसमें CCTV कैमरों के नेटवर्क से मिलने वाली इमेज का मिलान क्रिमिनल रिकॉर्ड्स के डेटाबेस से किया जाएगा। आंध्र प्रदेश और पंजाब समेत कई राज्यों में अथॉरिटीज ने अपराध से निपटने के लिए 2018 में ही फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नॉलजी अपनाई थी।

सीएनएन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो ने इस प्रस्तावित नेटवर्क के बारे में डॉक्यूमेंट्स रिलीज किए हैं, इसमें 172 पेज हैं। प्रस्तावित नेटवर्क में क्रिमिनल्स के मग शॉट्स (चेहरे के फोटो), पासपोर्ट फोटो और मिनिस्ट्री ऑफ विमन ऐंड चाइल्ड डिवेलपमेंट जैसी एजेंसियों की तरफ से जुटाई गई इमेज को शामिल किया जाएगा। हर संभव तरीके से क्रिमिनल्स को पहचानने के लिए नेटवर्क में सभी स्रोतों से मिलने वाली इमेज का इस्तेमाल किया जाएगा।

यह सिस्टम ब्लैकलिस्टेड मैच को पहचानने के लिए डिवेलप किया जाएगा और जब CCTV कैमरे उस चेहरे को पहचान लेंगे, एजेंसियों को तुरंत अलर्ट भेजा जाएगा। डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि यह नया फेशियल रिकॉग्निशन पैटर्न अपराध से जुड़े मामलों को सॉल्व करने और क्राइम पैटर्न डिटेक्ट करने में बहुत अहम रोल निभाएगा। इसके अलावा, सिक्यॉरिटी फोर्सेज मोबाइल डिवाइसेज से लैस होंगे, जिससे वह फील्ड में भी कोई फेस कैप्चर कर सकेंगे और डेडिकेटेड ऐप के जरिए नेशनल डेटाबेस में इसे तुरंत सर्च कर सकेंगे।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो ने कंपनियों से इस प्रोजेक्ट के लिए बोली लगाने के लिए कहा है। हालांकि, अभी यह आंकड़ा नहीं आया है कि कितनी कंपनियों ने इस नेशनल फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम के लिए बोली लगाई है। सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई के आखिर में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के दिल्ली ऑफिस में हुई प्री-बिड मीटिंग में 80 रिप्रेजेंटेटिव्स ने हिस्सा लिया था। कई विदेशी कंपनियां इसमें शामिल हुईं थीं।

प्राइसवॉटरहाउसकूपर्स इंडिया में साइबरसिक्यॉरिटी के लीड शिवराम कृष्णन ने कहा है कि इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाने वाली कंपनियों में IBM, HP और एक्सेंचर (ACN) शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किए जाने के 8 महीने के भीतर इस प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहती है। हालांकि, CCTV कैमरों की सीमित संख्या इस प्रोजेक्ट में एक बड़ी बाधा हो सकती है। नई दिल्ली में प्रत्येक 1,000 व्यक्तियों को मॉनिटर करने के लिए केवल 10 CCTV कैमरे हैं। वहीं, शंघाई और लंदन में इतने ही व्यक्तियों को मॉनिटर करने के लिए क्रमशः 113 और 68 कैमरे हैं। इसके अलावा, CCTV कैमरों की क्वॉलिटी सुधारने पर भी फोकस करना होगा।

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