दिल को स्वस्थ रखने के लिए कौन-से योगासन करेंगे आपकी मदद

योग कई आसनों का मिश्रण है। इसमें सांस लेने की तकनीक से लेकर मेडिटेशन तक शामिल है। योग में हर आसन का अपना महत्व है। इससे श्वसन तंत्र पर प्रभाव पड़ता है, जो दिल की सेहत का ख्याल रखता है। योग से ब्लड प्रेशर की परेशानी नहीं रहती, फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है, कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम रखता है, हार्ट-रेट बेहतर करता है, ब्लड-सर्कुलेशन बढ़ाता है। योग तनाव और प्रेशर को खत्म करने में भी मदद करता है, जो दिल के लिए अच्छा होता है। आपको अब तक समझ आ गया होगा कि इस अंतराष्ट्रीय दिवस 2020 के चलते हम आपको योग और योगासन के बारे में बता रहे हैं। इस पोस्ट में हम आपको कुछ ऐसे आसनों के बारे में बताएंगे, जो दिल की सेहत का ख्याल रखते हैं।

बालासन: इससे कंधे, पीठ, रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है। पैरों और कूल्हों के व्यायाम के साथ श्वसन प्रक्रिया में सुधार होता है।

बालासन कैसे करें
– घुटनों के बल बैठकर हथेलियों को जमीन पर रख दें।
– इसके बाद हाथों को तब तक आगे बढ़ाएं जब तक आपका माथा जमीन पर न आ जाएं।
– इसी अवस्था में 3 से 5 बार गहरी सांस लें।
– आपकी हथेलियां आकाश की ओर होनी चाहिए और छाती से जांघों पर दबाव पड़ना चाहिए।
– इस आसन से बाहर आने के लिए धीरे से उठकर एड़ी पर बैठ जाएं और रीढ़ की हड्डी को सीधा कर लें।

पवनमुक्तासन: इस आसन से पीठ का निचला हिस्सा मजबूत होता है। इससे रीढ़ की हड्डी में लचक भी बढ़ती है। पाचन तंत्र को बेहतर करने के साथ-साथ पेट में गैस और कब्ज से भी मुक्ति दिलाता है। यह बांझपन, नपुंसकता और मासिक धर्म की समस्याओं में भी लाभकारी है।

पवनमुक्तासन कैसे करें?
– आसन पर पीठ के बल लेट जाएं।
– सांस छोड़ते हुए दोनों घुटनों को मोड़ें और जांघों को छाती की ओर लेकर जाएं।
– घुटनों के नीचे से दोनों हाथों को एक-दूसरे के साथ पकड़ लें।
– अब सांस को छोड़ते हुए सिर और कंधों को ऊपर उठाएं। ऐसा करते हुए घुटनों के बीच में नाक लगाने का प्रयास करें।
– कुछ सेकंड्स तक इसी अवस्था में रहने के बाद धीरे-धीरे आसन से बाहर आ जाएं।
– इसे 3 बार करें।

वज्रासन: इस आसन को रोज करने से पाचन में सुधार होता है। कब्ज दूर होने में मदद मिलती है। पीठ और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है ओर कमर दर्द से भी राहत मिलती है। ध्यान करने के लिए भी यह आसन एकदम सही माना जाता है।

कैसे करें वज्रासन?
– पैरों को मोड़कर घुटनों के बल बैठ जाएं। पैरों के पंजों को पीछे की तरफ खीचें और पैर के अंगूठों को एक-दूसरे पर क्रॉस कर लें।
– अब इस तरह बैठें कि हिप्स एड़ियों पर जाकर टिक जाएं। आपकी जांघें आपकी पिंडलियों पर टिकी होंगी।
– अब दोनों हाथों को घुटनों पर रखकर रीढ़ की हड्डी सीधी रखें। सिर सीधा रखें और एकदम सामने की ओर देखें।
– अब आती-जाती सांसों का अवलोकन करें।
– अब आंखें बंद करके सिर्फ सांसों की गति पर ध्यान केंद्रित करें।
– इस आसन को शुरू में कम से कम 5 मिनट और बाद में 10 मिनट तक करें। पूर्ण अभ्यास हो जाने पर इसे 30 मिनट तक भी बढ़ाया जा सकता है।

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