दिल्ली: भूख से बिलबिलाते मजदूरों का सहारा बने पुलिस वाले, बांटा खाने का पैकट

नई दिल्ली 
कोरोना महामारी को देश में फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों के लिए देशव्यापी लॉकडाउन (बंदी) की घोषणा की है। महामारी के खिलाफ भारत के इस कदम की दुनियाभर में सराहना हो रही है। जानकारों का मानना है कि अगर लॉकडाउन पूरी तरह से सफल रहा तो 1.30 अरब की आबादी वाले देश को कोरोना के संक्रमण से बचा लिया जाएगा। लॉकडाउन जैसे बड़े कदम का दूसरा पहलू काफी चिंताजनक है। इसकी वजह से रोज कमाने रोज खाने वाले मजदूरों और उनके परिवारों के सामने खाने का संकट पैदा हो गया है। हालांकि सही तरीके से प्रयास किए जाएं तो मजूदरों की भूख की समस्या को दूर किया जा सकता है। मंगलवार रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की थी। इस घोषणा के 48 घंटे बाद ही देश की राजधानी दिल्ली से ऐसी-ऐसी तस्वीरें सामने आने लगी हैं, जो हर भारतीय को परेशान कर देंगी। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों के स्लम एरिया से सामने तस्वीरों में देखा गया कि मजदूर और उनके परिवार के लोग भूख से बिलख रहे हैं। इनके बच्चों भूख के चलते बार-बार मां-पिता से खाने की डिमांड करते देखे गए। जंतर-मंतर के पास फुटपाथ पर जिंदगी बिताने वाले संजय और सपना गुरुवार को रोते-बिलखते देखे गए। संजय ने बताया, 'मेरी पत्नी को आठ माह का गर्भ है। बंदी के चलते हमारे पास कोई काम नहीं है, हम भूखे हैं। पता नहीं आगे क्या होगा। मेरा दर्द सुनने वाला कोई नहीं है।' हालांकि प्रशासन और सरकार इन मजदूरों और इनके परिवारों की चिंता को लेकर पहले से तैयार थी। दोपहर में पुलिस और प्रशासन के कई कर्मचारी दिल्ली के स्लम इलाकों में भोजन का पैकेट बांटते देखे गए। न्यूज एजेंसी ANI की ओर से जारी वीडियो और तस्वीरों में दिख रहा है कि मजदूर और उनके घरों की महिलाएं और बच्चे जिस उत्सुकता के साथ पुलिसवालों के हाथों से खाने का पैकेट ले रहे हैं, उससे साफ है कि वे कितने भूखे हैं। 

रिक्शे से दिल्ली से मोतिहारी जाने निकले 5 परिवार 
दिल्ली में काम-धंधा बंद होने के चलते लाखों दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक, गरीबों की जिंदगी मुश्किलों से घिर गई है। परेशानी के इस वक्त में ये लोग अपने घर लौटना चाहते हैं। पूरे देश मे लॉकडाउन होने की वजह से परिवहन व्यवस्था पूरी तरह से बंद है। ऐसे में कुछ पैदल ही निकल पड़े हैं, तो कुछ अपने रिक्शा पर सवार होकर निकल पड़े हैं। ऐसा ही एक परिवार बिहार के मोतिहारी जिले के हरेंद्र महतो का है। हरेंद्र पूरा कुनबा लेकर दिल्ली से मोतिहारी के लिए बुधवार को ही निकल पड़े हैं। उनके साथ पांच और परिवार हैं। तीन रिक्शों पर सवार हरेंद्र अपने परिवार के सदस्यों और कुनबे के साथ सामान लादकर गांव की तरफ चल पड़े हैं। पांच परिवारों की समूची गृहस्थी तीन रिक्शों पर सिमट गई है। मोतिहारी से फोन पर हरेंद्र के भाई गिरिधारी ने बताया कि भैया दिल्ली में रिक्शा चलाते हैं, उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है। ऐसे में वो क्या करते, क्या खाते और क्या अपने परिवार को खिलाते। लिहाजा, उन्होंने घर वापसी का निर्णय लिया। उनके साथ पांच और परिवार हैं जो तीन रिक्शों पर दिल्ली से मोतिहारी आ रहे हैं। 

गिरिधारी ने आगे बताया कि रिक्शा चलता रहा तो पांच से सात दिन लग हीं जाएंगे यहां आने में और अगर रोक लिया गया तो फिर भगवान ही मालिक। अभी फिलहाल उनके पास दो दिन के खाने का सामान है। गौरतलब है कि दिल्ली से मोतिहारी की दूरी लगभग एक हजार किलोमीटर है। हरेंद्र कितने दिनों में पहुंचेंगे, कहना मुश्किल है, लेकिन ये सिर्फ हरेंद्र की कहानी नहीं है। दूसरे राज्य कमाने आए हर लोगों की लगभग यही कहानी है। घरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर रहने वाले हजारों मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या आन पड़ी है। दिल्ली की सड़कों पर काम नहीं और घर लौटने के लिए कोई साधन नहीं है। ऐसे में मजदूरों के लिए एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई की स्थिति है। मरता क्या न करता, जैसे-तैसे घर वापसी के लिए लोग चल पड़े हैं। 

फिल्म जगत के दिहाड़ी मजदूरों का भी बुरा हाल 
दिल्ली और देश के बाकी हिस्सों की तरह ही मुंबई की फिल्मी दुनिया में दिहाड़ी मजदूरी करने वालों के सामने भी लॉकडाउन के दौरान भूखमरी ही हालत आ गई है। करण जौहर, तापसी पन्नू और आयुष्मान खुराना सहित कई बालीवुड हस्तियों ने देशव्यापी लॉकडाउन से प्रभावित हुए दिहाड़ी मजदूरों की मदद करने की पहल की है। इस संबंध में करण जौहर ने ट्वीट किया,‘मैं इस पहल का समर्थन करने और इसमें योगदान देने की प्रतिज्ञा करता हूं! यह एक ऐसी स्थिति है जहां हमें आगे आकर मदद करनी होगी।’ तापसी ने कहा कि दिहाड़ी मजदूरों की मदद के लिए सभी को आगे आना चाहिए। उन्होंने लिखा, ‘यह दिहाड़ी मजदूरों के लिए है। हमारे लिए और हमारे साथ काम करने वालों के लिए हमें अपना योगदान देना होगा। अगर कोरोना से नहीं तो वे भोजन की कमी से हार जाएंगे। आइये हम सभी इस हालात से निपटने में उनकी मदद करें।’ आयुष्मान ने इस पहल को नेक बताया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘मैं इसका समर्थन करने और योगदान देने का संकल्प लेता हूं। भारत और भारतीय खतरे में हैं और हम सभी में इसे बदलने की शक्ति है। संकट के इस समय में जितना हो सके हम एक-दूसरे का समर्थन और देखभाल करें। मैं मानवता के साथ हूं।’ 

मजदूरों के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना वायरस महामारी और उसके आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिये बृहस्पतिवार को खासतौर से गरीबों, बुजुर्गों, स्वयं सहायता समूहों और निम्न आग वर्ग को राहत देते हुये 1.70 लाख करोड़ रुपये की ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ की घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत राशन की दुकानों से 80 करोड़ लोगों को अगले तीन महीने तक प्रति व्यक्ति 5 किलो गेहूं या चावल तथा इसके अलावा प्रति राशन कार्ड एक किलो दाल मुफ्त मिलेगी। सीतारमण ने पैकेज की घोषणा करते हुए कहा कि 20.5 करोड़ महिला जनधन खाताधारकों को अगले तीन महीने तक हर महीने 500 रुपये दिये जायेंगे ताकि उन्हें कुछ अतिरिक्त मदद मिल सके। वित्त मंत्री ने तीन करोड़ गरीब वृद्धों, विधवाओं तथा गरीब दिव्यांगों को एक-एक हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की। यह घोषणा ऐसे समय की गयी है जब कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिये तीन सप्ताह के देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ की वजह से लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है। 

कारखाने और संयंत्र बंद होने से कई क्षेत्र में नौकरियां जाने की भी खबर है। वित्त मंत्री ने संवाददाताओं को बताया कि मनरेगा के तहत दैनिक मजदूरी 182 रुपये से बढ़कर 202 रुपये की गई है। इससे पांच करोड़ परिवारों को लाभ होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत 8.69 करोड़ किसानों को अप्रैल के पहले सप्ताह में दो-दो हजार रुपये कि किस्त उनके खातों में पहुंचा देगी। वित्त मंत्री ने कहा कि उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को अगले तीन महीने तक मुफ्त रसोई गैस सिलिंडर मिलेगा। इससे 8.3 करोड़ गरीब परिवारों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कोरोना वायरस महामारी से संक्रमित लोगों के इलाज में जुटे डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिये 50 लाख रुपये के बीमा कवर की भी घोषणा की है। वित्त मंत्री ने कहा कि कर्मचारियों को भविष्य निधि खाते से 75 प्रतिशत जमाराशि अथवा तीन महीने के वेतन में जो भी कम हो उसे निकालने की अनुमति दी गयी है। 

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