दिल्लीवालों ने डरे हुए कश्मीरी छात्रों के लिए दरवाजे खोले, गुरुद्वारे भी आगे आए

 
नई दिल्ली 

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के दस्ते पर आतंकवादी हमले के बाद देश भर में गुस्सा है लेकिन यह गुस्सा कई जगहों पर उन लोगों पर फूटा है जो कश्मीर से देश के दूसरे हिस्सों में पढ़ाई, कारोबार या किसी और काम से आए हैं। नफरत के इस गुस्से का दिल्ली ने प्यार से जवाब दिया है। सोशल मीडिया पर कई दिल्ली वालों ने खुलकर ऐलान किया कि उनके घर कश्मीरियों के लिए खुले हैं और अगर उन्हें कहीं भी किसी तरह का डर महसूस हो रहा है तो वे उनके घर आकर रह सकते हैं। 

इन 'दिलदार' दिल्ली वालों ने अपने घर के पते तक पोस्ट कर दिए जबकि कुछ ने कहा कि वे हमें सीधे मेसेज कर जानकारी दे सकते हैं। दिल्ली पुलिस की तरफ से भी ट्वीट कर कहा गया है कि हर नागरिक की सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया जा रहा है और कश्मीर से आए और यहां रह रहे छात्रों का भी ख्याल रखा जा रहा है। 

ऐसे हैशटैग हो रहे इस्तेमाल 
लोगों ने फेसबुक, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम, ट्विटर पर #unHatenow हैशटैग इस्तेमाल कर-अपने घरों के पते शेयर किए, नंबर पोस्ट किए और बता दिया कि ‘हम हिंदुस्तानी हैं।’ मयूर विहार फेज-2 के सुमित कुमार सिंह ने ट्विटर पर पोस्ट किया कि जम्मू-कश्मीर का कोई भी रहना वाला अगर असुरक्षित महसूस कर रहा है तो वह मेरे घर कभी भी आ सकता है। उन्होंने बकायदा अपने घर तक का पता सोशल मीडिया पर शेयर किया। साउथ दिल्ली की जाह्नवी मित्तल ने लिखा कि उनके घर में एक अलग से रूम है। यहां कोई भी कश्मीरी स्टूडेंट आ सकता है जिसे सुरक्षित जगह की तलाश हो। 
बड़ी है संख्या
ऐसा एक, दो, तीन लोगों ने नहीं किया.. हजारों ने घरों के दरवाजे अपनों की हिफाजत के लिए खोल दिए। इन्हीं में से एक थे अमित त्यागी। वैशाली के रहने वाले एक पूर्व सैनिक के बेटे अमित ने अपना पता शेयर कर सभी को ओपन इनवाइट किया। उन्होंने लिखा कि हम लोगों को अफवाहों पर यकीन नहीं करना चाहिए। अमित ने एनबीटी को बताया कि अपील पर उनके यहां 4-5 लड़के आए भी। सभी देहरादून के थे। हालांकि बाद में उन्हें कश्मीर हाउस शिफ्ट कर दिया गया। 
अमित ने कहा कि स्टूडेंट्स की पहचान को उजागर नहीं किया जा सकता। वहीं अफवाहों के बीच दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट असोसिएशन के चेयरमैन तरलोचन सिंह ने भी कहा कि देश एक है। यहां कोई पंजाबी, गुजराती, कश्मीरी नहीं। तरलोचन ने कहा कि हमारे घर ही नहीं बल्कि गुरुद्वारे भी सभी के लिए खुले हैं। किसी को डरने की जरूरत नहीं है। नफरत फैलाने वाले मुट्ठीभर लोगों से कुछ न हो सकेगा। तरलोचन सिंह ने कहा कि असोसिएशन ने भी इस फैसले को सपोर्ट किया है। सभी मेंबर्स कश्मीरी भाई बहनों के साथ खड़े हैं। 

सीआरपीएफ की 'मददगार' हेल्पलाइन 
हमले के बाद जम्मू-कश्मीर से बाहर रह रहे कश्मीरियों को कथित तौर पर दी जा रही धमकियों की खबरों के मद्देनजर श्रीनगर स्थित सीआरपीएफ हेल्पलाइन ने शनिवार को उनसे कहा कि वे किसी भी तरह के उत्पीड़न के मामले में उनसे संपर्क कर सकते हैं। सीआरपीएफ ने ‘मददगार’ हेल्पलाइन ने इस सिलसिले में एक ट्वीट कर कहा है कि इस समय राज्य से बाहर कश्मीरी छात्र और आम लोग उसके ट्विटर हैंडल @CRPFmadadgaar पर संपर्क कर सकते हैं। किसी भी कठिनाई या उत्पीड़न का सामना करने में शीघ्र सहायता के लिए वे 24 घंटे टोल फ्री नंबर 14411 या 7082814411 पर एसएमएस कर सकते हैं। 
 

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