दिग्विजय ने कहा था- मेरे प्रचार से कट जाते हैं कांग्रेस के वोट, अब जीतने के लिए जनता से मांग रहे आशीर्वाद

भोपाल
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अचानक सुर्खियों में आ गए थे। वैसे दिग्विजय सिंह के लिए सुर्खियों में रहना कोई बड़ी बात नहीं है किसी ना किसी कारण से दिग्विजय सिंह सुर्खियों में रहते ही हैं। 16 साल बाद चुनाव मैदान में उतरते ही दिग्विजय सिंह एक बार फिर खबरों में हैं, वो अपने लिए वोट भी मांग रहे हैं तो सियासी भूल की माफी भी मांग रहे हैं। कभी मंदिरों में मत्था टेक रहे हैं तो उनके बेटे जयवर्धन सिंह उन्हें सच्चा हिन्दू बता रहे हैं।

विधानसभा के दौरान दिग्विजय ने दिया था ऐसा बयान?
मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने राज्य विधानसभा चुनाव में अपनी भूमिका को लेकर कहा था कि उनके प्रचार करने से पार्टी का नुकसान होता है। कार्यकर्ताओं से बातचीत के दौरान दिग्विजय सिंह ने कहा था, 'मेरे प्रचार करने से कांग्रेस को वोटों का नुकसान होता है।' पार्टी की तरफ से जिसको भी टिकट मिले, चाहे वह दुश्मन ही क्यों न हो, उसे जिताओ। इस चुनाव में मेरा सिर्फ एक काम है – कोई प्रचार नहीं, कोई भाषण नहीं। मेरे भाषण देने से कांग्रेस के वोट कट जाते हैं इसलिए मैं कहीं जाता ही नहीं हूं।'
 
अब खुद के लिए मांग रहे हैं वोट
विधानसभा चुनाव के दौरान यह बयान देने वाले दिग्विजय सिंह अब जनता से खुद के लिए वोट मांग रहे हैं। इसके लिए वो मांफी भी मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि आपके वोटों के बिना में चुनाव नहीं जीत सकता हूं। सवाल ये है कि क्या अब दिग्विजय सिंह के वोट मांगने से कांग्रेस के वोट नहीं कटेंगे। अगर दिग्विजय सिंह को इस बात की जानकारी है कि उनके प्रचार और भाषण से मेरे वोट कटते हैं तो फिर इस बार वो जनता के सामने वोट कैसे मांग पाएंगे? दिग्विजय सिंह का राजनीति का चाणक्य कहा जाता है। दिग्विजय ने जब वोट कटने का बयान दिया था तो राजनीति के जानकारों ने इसे कई तरह से परिभाषित किया था। किसे ने इसे दिग्विजय की सियासी रणनीति बताई थी तो किसी ने कहा था दिग्विजय सिंह ने सच्चाई कही है क्योंकि दिग्विजय को आभाष हो गया है उनके नाम पर वोट नहीं मिल सकता है। विधानसभा चुनावों के दौरान दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मंच पर मौजूद तो रहते थे पर किसी भी मंच पर उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया था। मंच से केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ ही बोलते दिखे।
 
वोट मांगना दिग्विजय की मजबूरी
लोकसभा चुनाव के लिए दिग्विजय सिंह का वोट मांगना अब मजबूरी बन गया है। वो खुद उम्मीदवार हैं। भोपाल लोकसभा चुनाव के परिणा दिग्विजय सिंह के सियासी कैरियर का बड़ा चुनाव साबित होगा। मध्यप्रदेश की जनता की नाराजगी कांग्रेस से जयादा दिग्विजय सिंह से है। ऐसे में एक बार फिर से दिग्विजय सिंह वोट मांगने जब जनता के बीच निकलेंगे तो उन्हें अपने शासनकाल का भी जवाब जनता को देना होगा जो दिग्विजय के लिए एक बड़ी चुनौती है।

सियासी भूल की मांग रहे हैं माफी
दिग्विजय सिंह ने अपने शासनकाल में हुई एक सियासी भूल की मांफी 16 साल बाद मांगी है। उन्होंने कहा था कि 16 साल हो गए अगर कोई भूल हुई हो तो माफ कर देना। दिग्विजय सिंह ने ये माफी मध्यप्रदेश के कर्मचारियों से मांगी थी। दिग्विजय सिंह ने कहा- अगर मैं सांसद बनता हूं तो हर वादा पूरा किया जाएगा। इतने साल से मुझे अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला। अब मिला है तो कह रहा हूं। दिग्विजय ने कहा कि मेरे शासनकाल में कर्मचारियों को केंद्र के समरकार के बराबर महंगाई भत्ता दिया गया था। मेरे शासनकाल में अनुकंपा नियुक्तियां भी दी गईं। माफी मांगने की एक वजह ये भी थी। भोपाल लोकसभा सीट में करीब दो लाख राज्य कर्मचारी और पेंशनर्स हैं। सबसे ज्यादा करीब 50 हजार कर्मचारी वोट भोपाल की दक्षिण-पश्चिम विधानसभा में हैं। राज्य में यह संख्या करीब 8 लाख के आसपास है। कर्मचारियों के परिवार का भी वोट चुनाव का केंद्र बनता है।

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