दलितों, पिछड़ों के हितों की रक्षा सरकार की प्राथमिकता: मौर्य

लखनऊ
 उत्तर प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का जीवन स्तर ऊंचा उठाना और उसके चेहरे पर मुस्कान लाने के मकसद के साथ सरकार काम कर रही है। पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के 88वें जन्मदिन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मौर्य ने कहा कि दलितों, पिछड़ों और उपेक्षितों के हितों की अनदेखी कर लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना नहीं की जा सकती। आदर्श समाज के निर्माण के लिए समाज के अन्तिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का जीवन स्तर ऊँचा हो, उसके चेहरे पर भी मुस्कान आए। इसके लिए योजनाओं का लाभ बिना किसी भेदभाव के उन्हें तत्काल मिले। इसी उद्देश्य से केन्द्र और प्रदेश की सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास' के लक्ष्य को पूरा करने के लिए कार्य कर रही है।

श्रम मंत्री ने कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने भारतीय संविधान में तथा पं. दीनदयाल उपाध्याय ने अन्त्योदय दर्शन में मंशा जाहिर की थी कि केन्द्र और राज्यों की सरकारें समाज के सभी वर्गों को बिना किसी भेदभाव के योजनाओं से लार्भान्वित कर विकास करें एवं इनके हितों की रक्षा करें। संविधान तथा सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले महापुरूषों की मंशानुरूप ही पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने गरीबों एवं उपेक्षितों का जीवन स्तर उठाने के लिए मण्डल कमीशन की शर्तों को लागू किया था। उनके इस कार्य से उपेक्षित लोगों को लाभ मिला है, लेकिन सामाजिक न्याय की लड़ाई अभी अधूरी है।

उन्होंने कहा कि संविधान हमारे लिए आदर्श एवं प्रेरणा का स्रोत है। उसका व्यावहारिक रूप धरातल पर अब उतर रहा है। केन्द्र व प्रदेश की सरकार दलितों, पिछड़ों व अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए कार्य कर रही है तथा बिना भेदभाव के उन्हें योजनाओं से लाभान्वित कर विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रही है। आजादी की लड़ाई में सभी वर्गों की भागीदारी थी, उसी प्रकार से आजादी के बाद सभी लोगों को विकास में हिस्सेदार बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने आयुष्मान, उज्जवला एवं सौभाग्य योजना का लाभ देने में कोई भेदभाव नहीं किया।

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