तिवारी पर गिरेगी गाज, ये बन सकते हैं नए BJP चीफ

नई दिल्ली
दिल्ली बीजेपी में शीर्ष स्तर पर जल्द ही बदलाव देखने को मिल सकता है। विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद अब पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के नेतृत्व में इन दिनों कई राज्यों में बीजेपी ने नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसी कड़ी में तेलंगाना, झारखंड, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के बाद अब अगला नंबर दिल्ली का लग रहा है। कहा जा रहा है कि 8-10 दिन में इस बारे में कोई फैसला लिया जा सकता है। यह भी लगभग तय है कि नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव नहीं होगा बल्कि केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा सीधी नियुक्ति ही की जाएगी।

पार्टी में मंथनसूत्रों के मुताबिक, मंगलवार को दिल्ली बीजेपी के तमाम प्रमुख पदाधिकारियों और नेताओं के साथ वन टु वन मीटिंग करके प्रदेश नेतृत्व में परिवर्तन को लेकर उनका फीडबैक लिया गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री मुरलीधर राव और महिला मोर्चे की राष्ट्रीय अध्यक्ष विजया राहटकर को विशेष रूप से इस काम का जिम्मा सौंपा गया। इन दोनों ने मंगलवार को झंडेवालान स्थित दीनदयाल शोध संस्थान में पार्टी के प्रदेश के सभी पदाधिकारियों से बातचीत की। साथ ही नेतृत्व की दावेदारी में शामिल कुछ नेताओं का इंटरव्यू भी लिया गया।

फुलटाइमर की मांग
सूत्रों का कहना है कि पार्टी में लंबे समय से एक फुल टाइम अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग उठती रही है जो अपना पूरा समय संगठन के काम के लिए दे सके, ताकि दो साल बाद होने वाले एमसीडी चुनावों में पार्टी को एक बार फिर जीत मिल सके। ऐसे में हो सकता है कि किसी सिटिंग एमएलए या सांसद के बजाय पार्टी के किसी पुराने कार्यकर्ता को यह जिम्मा सौंपा जाए। युवा नेतृत्व को कमान सौंपे जाने की भी चर्चा चल रही है।

इन नामों पर चर्चा
फिलहाल जिन नेताओं के नाम रेस में शामिल माने जा रहे हैं, उनमें सतीश उपाध्याय, विजेंद्र गुप्ता, डॉ. हर्षवर्धन, प्रवेश वर्मा, गौतम गंभीर, कुलजीत चहल, आशीष सूद, पवन शर्मा, जयप्रकाश शामिल हैं। हालांकि इस फैसले में पार्टी बिहार में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों को भी पार्टी नजरअंदाज नहीं कर रही है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को अगर हटाया गया, तो कहीं उसकी वजह से पूर्वांचली वोटरों में कोई नकारात्मक संदेश ना जाए, इसके लिए तिवारी को केंद्र की सरकार में कोई नई जिम्मेदारी सौंपने या बिहार चुनाव तक ना हटाने पर भी विचार किया जा सकता है।

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