ट्रैफिक जाम से दिल्ली को जितना नुकसान, उतने में 15 साल तक हो सकता है फ्री मेट्रो सफर

नई दिल्ली

भारत एक ओर विकास के पथ पर आगे जा रहा है, तो दूसरी ओर सड़कों पर भारी ट्रैफिक जाम तरक्की की राह में बाधक बनता दिख रहा है. ट्रैफिक से न सिर्फ रफ्तार पर ब्रेक लग जाता है बल्कि आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है देश को और आम जनता को. हाल की एक रिपोर्ट बताती है कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली दुनिया में सबसे ज्यादा ट्रैफिक जाम का सामना करने वाले शीर्ष 5 शहरों में शामिल हैं. जाम के कारण पिछले साल देश के 4 शहरों को 1.44 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा था. अगर आंकड़ो का विश्लेषण करें तो दिल्ली में इससे पिछले साल जितना आर्थिक नुकसान हुआ, उतने में 15 साल से अधिक समय तक मेट्रो से महिला-पुरुषों को मुफ्त सफर की सुविधा दी जा सकती है.

टॉम टॉम ट्रैफिक इंडेक्स 2018 की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रैफिक जाम के लिए सबसे खराब चारों शहर विकासशील देशों के हैं जिसमें 2 शहर भारत से और 2 दक्षिण अमेरिका से है. पांचवें नंबर पर रूस की राजधानी मास्को है. 6 महाद्वीपों के 56 देशों के 403 शहरों पर जीपीएस आधारित सर्वे के बाद यह बात सामने आई कि जाम के मामले में मुंबई सबसे खराब शहर है और इसमें सालाना काफी समय बर्बाद हो जाता है.

4 शहरों को 1.45 लाख करोड़ का नुकसान

इंडेक्स के अनुसार, इस समय दुनियाभर में 60 करोड़ से ज्यादा गाड़ियां डिवाइस से जुड़ी हैं. इस डिवाइस के जरिए हर दिन 3.5 बिलियन यानी 350 करोड़ किलोमीटर का डाटा एकत्र होता है.

ट्रैफिक जाम से होने वाले आर्थिक नुकसान पर पिछले साल अप्रैल में उबर की एक रिपोर्ट आई जिसे बोस्टन कन्सलटिंग ग्रुप ने तैयार किया. रिपोर्ट के अनुसार, भारी जाम के कारण देश के 4 बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु को करीब 1.45 लाख करोड़ (14,400,000 रुपए) का नुकसान उठाना पड़ा था. इस सर्वे में कहा गया था कि दिल्ली के लोग सबसे ज्यादा 45 फीसदी कार का इस्तेमाल करते हैं. जबकि कोलकाता के लोग सबसे कम अपनी कार (22) का इस्तेमाल करते हैं.

पिछले साल जाम के कारण अकेले दिल्ली को 63 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा था, जबकि मुंबई को 31 हजार करोड़ रुपए की चपत लगी थी. यहां बता दें कि केजरीवाल सरकार, महिलाओं के लिए मेट्रो से मुफ्त सफर की सुविधा देने के लिए योजना बनाने में जुटी है. कहा गया है कि मेट्रो से सफर करने वाली तीस फीसद महिलाओं पर सालाना करीब 12 सौ करोड़ खर्च आएगा. इस प्रकार अगर पुरुषों को भी जोड़ दें तो 3600 करोड़ से लेकर चार हजार करोड़ रुपये सालाना में महिला और पुरुषों दोनों के लिए सफर मुफ्त किया जा सकता है. ऐसे में दिल्ली में जाम से लगी 63 हजार करोड़ की आर्थिक चपत को देखें तो 15 साल से ज्यादा के लिए सफर मुफ्त किया जा सकता है.

 

भारत पहली बार सर्वे में शामिल

टॉम टॉम की ओर से पिछले दिनों जारी सर्वे के अनुसार, ट्रैफिक जाम में फंसने के मामले में मुंबई दुनिया का सबसे खराब शहर है. शीर्ष 10 शहरों में मुंबई के अलावा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भी शामिल है. सूची के अनुसार, मुंबई के बाद बोगोटा (कोलंबिया), लीमा (पेरू), नई दिल्ली, मास्को, इस्तांबुल (तुर्की), जकार्ता (इंडोनेशिया), बैंकाक (थाइलैंड), मैक्सिको सिटी (मैक्सिको) और रेसिफ (ब्राजील) सबसे ज्यादा ट्रैफिक जाम का सामना करने वाले 10 बड़े शहर हैं. सर्वे में उन शहरों को शामिल किया गया है जहां की आबादी 8 लाख से ज्यादा है.

लोकेशन टेक्नोलॉजी में एक्सपर्ट टॉम टॉम ने इस बार टॉम टॉम ट्रैफिक इंडेक्स तैयार करने के लिए भारत समेत 13 देशों को पहली बार शामिल किया. भारत के अलावा जापान, मिस्र, कोलंबिया, पेरू, यूक्रेन, इजराइल और आइसलैंड अन्य प्रमुख देश हैं. हालांकि शीर्ष 5 में शामिल मुंबई और दिल्ली में 2017 की तुलना में इस साल जाम की स्थिति में गिरावट आई है.

 

मुंबई में 45 मिनट अतिरिक्त

मुंबई में यह ट्रैफिक जाम की समस्या 65 फीसदी है तो दूसरे नबंर पर आने वाले शहर बोगोटा में यही दर 63 फीसदी है. जबकि पेरू की राजधानी लीमा और दिल्ली में 58-58 फीसदी है. ट्रैफिक जाम के मामले में मुंबई को 65 फीसदी अंक मिले हैं जिसका अर्थ हुआ कि मुंबई में सड़क से एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए औसतन लगने वाले अतिरिक्त समय.

मुंबई में सामान्य तौर पर एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने में अगर 45 मिनट लगते हैं तो जाम के दौरान इसी जगह जाने में 1 घंटा 15 मिनट का समय लगेगा. हालांकि राहत की बात यह है कि 2017 की तुलना में इस बार जाम की स्थिति में एक फीसदी की गिरावट आई है.

हाईवे पर कम जाम

मुंबई में ट्रैफिक जाम की बात करें तो जाम का सबसे ज्यादा सामना गैर-हाईवे की सड़कों को करना पड़ता है. हाईवे की तुलना में शहर के अंदर की सड़कों पर ज्यादा जाम लगता है. गैर-हाईवे की सड़कों पर औसतन 76 फीसदी जाम लगता है तो हाईवे पर जाम लगने की समस्या 56 फीसदी ही होती है.

मुंबई में छुट्टी के दिन भी ट्रैफिक जाम की समस्या कम नहीं होती. 2018 में होली के दिन (2 मार्च) को रोज की तुलना में सबसे कम ट्रैफिक जाम दिखा और तब भी यहां पर 16 फीसदी जाम रहा.

वीकेंड पर भी कम नहीं जाम

मुंबई में वीकंड पर भी जाम की समस्या कम नहीं होती. शनिवार शाम को भी ट्रैफिक जाम की समस्या औसतन 95 फीसदी तक रहती है, जबकि सोमवार से शुक्रवार तक यह समस्या 100 फीसदी के आसपास ही रहता है. सुबह ऑफिस जाने के दौरान पिक ऑवर में रोजाना 24 से 30 मिनट अतिरिक्त समय के रूप में देना होता है जबकि शाम को 30 से 31 मिनट का अतिरिक्त समय लगता है.

दिल्ली में हाईवे पर 50 फीसदी जाम

मुंबई के अलावा राजधानी दिल्ली के ट्रैफिक जाम की बात करें तो 2018 में यहां पर 58 फीसदी जाम रिकॉर्ड किया गया, हालांकि 2017 की तुलना में इसमें 4 फीसदी की गिरावट है. मुंबई की तरह दिल्ली में भी होली के दिन 2 मार्च को जाम की स्थिति में कमी दिखी और इसमें 6 फीसदी की गिरावट आई थी. जबकि सबसे ज्यादा 83 फीसदी जाम 8 अगस्त को रहा.

दिल्ली में भी गैर-हाईवे सड़कों को जाम का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है. गैर-हाईवे की सड़कों पर औसतन 61 फीसदी जाम लगता है तो हाईवे पर जाम लगने की समस्या 50 फीसदी है. राजधानी में सुबह ऑफिस जाने के दौरान पिक ऑवर में रोजाना 22 अतिरिक्त समय के रूप में देना होता है जबकि शाम को 29 मिनट का अतिरिक्त समय लगता है. दिल्ली में पिक ऑवर में जाम की बात करें तो सुबह (73 फीसदी) की तुलना में शाम (95 फीसदी) को ज्यादा जाम लगता है.

दिल्ली में 29 करोड़ किमी का सर्वे

टॉम टॉम ट्रैफिक इंडेक्स के अनुसार मुंबई में ट्रैफिक जाम की स्थिति जानने के लिए 9,65,24,453 किलोमीटर का आंकड़ा जुटाया गया जिसमें हाईवे पर 5,43,95,970 किलोमीटर और गैर-हाईवे पर 4,21,28,483 किलोमीटर को शामिल किया गया.

वहीं दिल्ली में ट्रैफिक जाम की स्थिति जानने के लिए 29,01,86,189 किलोमीटर का आंकड़ा जुटाया गया जिसमें हाईवे पर 10,50,08,588 किलोमीटर और गैर-हाईवे पर 18,51,77,601 किलोमीटर को शामिल किया गया.

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