टोस्ट और रस्क को ब्रेड की कैटेगरी से अलग नहीं माना जा सकता है: HC

बिलासपुर
टोस्ट और रस्क को ब्रेड की केटेगरी का मानने के बिलासपुर हाई कोर्ट के सिंगल बैंच के फैसले के खिलाफ अपील निराकृत कर दी गई है. हाई कोर्ट ने सिंगल बेंच द्वारा मार्च 2018 में दिए गए आदेश को हस्तक्षेप योग्य नहीं माना है. दरअसल कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट ने टोस्ट और रस्क को टैक्स की वसूली के लिए ब्रेड की केटेगरी से बाहर मानते हुए अलग असेसमेंट कर रिकवरी के लिए नोटिस जारी किया था. इसके खिलाफ लगाई गई याचिकाएं हाई कोर्ट ने मंजूर करते हुए आदेश को निरस्त कर दिया था. सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट ने इसके खिलाफ अपील की थी.

बता दें कि बिलासपुर के केशरवानी इंटरप्राइजेस सहित अन्य बेकरी संचालकों ने साल 2016 में हाई कोर्ट बिलासपुर में याचिका प्रस्तुत कर कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा टोस्ट और रस्क को ब्रेड की केटेगरी से अलग मानते हुए असेसमेंट कर रिकवरी के लिए जारी नोटिस को चुनौती दी थी. याचिकाओं में कहा गया था कि टोस्ट और रस्क को बनाने का तरीका और उसमें उपयोग होने वाले सामान एक जैसे होते हैं. ऐसे में वैल्यू एडेट टैक्स के असेसमेंट के लिए इनको अलग केटेगरी का मानना और रिकवरी नोटिस जारी करना अनुचित है. ऐसा करने से ये महंगे हो जाएंगे.

हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 5 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट सहित विभिन्न हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णयों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला देते हुए कहा था कि टोस्ट और रस्क के निर्माण में एक जैसे सामान का उपयोग होता है. सिर्फ इसे बनाने के तरीके में कुछ अंतर है. टोस्ट और रस्क को ब्रेड की केटेगरी का मानते हुए हाई कोर्ट ने कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट के आदेश को निरस्त कर दिया था. आदेश के खिलाफ डिपार्टमेंट ने अपील की थी. इस पर चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए अपील निराकृत कर दी है.

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