टेरर फंडिंग केस: उत्तर प्रदेश ATS पता करेगी नेपाली बैंकों में कहां से आता था पैसा

 लखनऊ 
यूपी एटीएस टेरर फंडिंग में गिरफ्तार चारों अभियुक्तों को रिमांड पर लेकर पूछताछ करने की तैयारी में है। इससे यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि नेपाली बैंकों के खाते में पैसा कहां से आता है और कैसे आता है? इसके स्रोत क्या हैं?एटीएस यह जानने का प्रयास भी करेगी कि गिरफ्तार अभियुक्तों उम्मेद अली, संजय अग्रवाल, समीर सलमानी व एराज अली के संपर्क में रहने वाले मुमताज के नेपाली लिंक में कौन-कौन से लोग हैं और उसके अन्य सहयोगी कौन हैं? इसी तरह यह जानकारी भी जुटाई जाएगी कि मुमताज के अन्य सहयोगियों फहीम और सदाकत अली द्वारा ये पैसा किन-किन लोगों को दिया गया? इस पैसे से किस प्रकार की आतंकवादी गतिविधियां की गई हैं? इससे पूर्व पैसा किस-किस को आतंकवाद संचालन के लिए दिया गया? 
 
सामने आ चुकी है पाकिस्तानी हैंडलर की भूमिका
एटीएस इससे पहले ऐसे कुछ मामलों का खुलासा कर चुकी है जिसमें पाकिस्तानी हैंडलर की भूमिका सामने आई थी। टेरर फंडिंग नेटवर्क से जुड़े दर्जन भर से ज्यादा ऐसे लोग गिरफ्तार किए गए थे, जिनके खातों में पैसा जमा भेजा गया था और उन्हें कुछ कमीशन देकर नकद पैसा निकलवाया गया था। इसमें पाकिस्तानी हैंडलर की भूमिका पाई गई थी। इसके अलावा पाकिस्तानी हैंडलर द्वारा भारतीय नागरिकों से ठगी करके और भारतीय लोगों को एजेंट बनाकर उनके खातों में ठगी का पैसा जमा कराया गया था और एजेंटों को कमीशन देकर ठगी के पैसे को विभिन्न माध्यमों से भारत के बाहर भेजा गया। इस तरह के दो अलग-अलग मामलों में एटीएस ने 11 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
 
लोगों के बाल काटकर जीविका चलाने वाला उम्मेद घर का गुजारा न चलने से बरेली गया था। खमरिया कोइलार गांव का उम्मेद अली करीब आठ साल पहले कामधंधा करने बरेली चला गया था। चार साल पहले पिता शराफत अली की मौत के बाद उम्मेद की मां और पांच और भाइयों का पूरा परिवार बरेली चला गया। खमरिया कोइलार में लकड़ी का खोखा रखकर लोगों के बाल काटने वाला उम्मेद अली ग्रामीणों के मुताबिक बरेली में फर्नीचर बनाने आदि का काम करता है। चार साल से उम्मेद के परिवार का कोई सदस्य तक यहां नहीं आया है। उनका बिना छत का टूटा-फूटा खंडहर जैसा मकान तभी से वीरान पड़ा है। गांव के लोग हैरान थे कि सीधा-सादा दिखने वाला उम्मेद ऐसा भी कर सकता है।

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