झांसी लोकसभा सीट: उमा भारती का टिकट काट BJP ने इन्हें बनाया है प्रत्याशी

झांसी 
झांसी का नाम लेते ही सबसे पहले ‘खूब लड़ी मर्दानी’ याद आता है. झांसी को रानी लक्ष्मीबाई की वीरता के लिए याद किया जाता है. इस शहर को इतिहास के लिए याद किया जाता है. चाहे वह 18-20 किलोमीटर दूर ओरछा हो, 28-30 किलोमीटर दूर दतिया या करीब 180 किलोमीटर दूर खजुराहो. झांसी मेजर ध्यानचंद का शहर है. बुंदेलखंड इलाके में झांसी आता है. इतिहास से अलग देखें, तो वो सारी समस्याएं झांसी में हैं, जिनके लिए बुंदेलखंड को जाना जाता है. पानी बड़ी समस्या है. आवारा जानवरों से निपटना पिछले कुछ समय बहुत बड़ी समस्या के तौर पर सामने आया है. खासतौर पर किसानों के लिए, जो इन जानवरों से फसल बचाने के लिए जूझते नजर आए.

पिछली बार बड़े अंतर से बीजेपी को जीत मिली थी. यहां से उमा भारती जीती थीं. लेकिन पहुंज और बेतवा नदी से घिरे झांसी-ललितपुर में इस बार दलों के बीच कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है.

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की साध्वी उमा भारती 5,75,889 वोट लेकर निर्वाचित हुईं थीं. दूसरे स्थान पर 3,85,422 वोटों के साथ समाजवादी पार्टी के डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव रहे थे. तीसरा स्थान बीएसपी की अनुराधा शर्मा को और चौथा स्थान कांग्रेस के प्रदीप जैन आदित्‍य को मिला था.

झांसी लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की कुल पांच सीटें हैं- बबीना, झांसी नगर, मऊरानीपुर, ललितपुर और महरौनी. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों से बीजेपी जीती थी. पिछले तीन लोक सभा चुनाव में कोई एक पार्टी नहीं जीती है. पिछली बार बीजेपी, 2009 में कांग्रेस के प्रदीप जैन और 2004 में समाजवादी पार्टी के चंद्रपाल सिंह यादव जीते थे.

इस बार भाजपा से उमा भारती की जगह नए प्रत्याशी बैद्यनाथ आयुर्वेद कंपनी के चेयरमैन अनुराग शर्मा मैदान में हैं. पूर्व सांसद स्व. पंडित विश्वनाथ शर्मा के पुत्र अनुराग के लिए माना जा रहा है कि वो संघ की पसंद हैं. अनुराग शर्मा की रिश्तेदार अनुराधा शर्मा 2014 में बीएसपी की प्रत्याशी थीं. वो अनुराग शर्मा के नामांकन में पहुंची थीं. उन्होंने कहा था कि बीजेपी प्रत्याशी मेरे भतीजे हैं, इसलिए आशीर्वाद देने आई हूं. बीजेपी प्रत्याशी नए हैं. लेकिन बाकी भी नए ही हैं.

एसपी-बीएसपी की तरफ से श्याम सुंदर सिंह यादव खड़े हुए हैं, जो चुनाव से पहले बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में आए थे. उन्हें टिकट मिलने से मुलायम सिंह यादव के करीबी नेता चंद्रपाल सिंह खासे नाराज थे. 2004 मे जीत चुके चंद्रपाल सिंह यादव को राज्यसभा सीट दे दी गई थी. उन्हें मनाया गया. उनके मानने या न मानने का असर चुनाव के नतीजों पर दिख सकता है. कांग्रेस ने सीट जन अधिकार पार्टी के लिए छोड़ी है. कांग्रेस के चुनाव चिह्न से ही उनके प्रत्याशी शिवशरण कुशवाहा लड़ रहे हैं. शिवशरण बसपा सरकार में मंत्री रहे और एनआरएचएम (नेशनल रूरल हेल्थ मिशन) घोटाले के आरोपी बाबूसिंह कुशवाहा के भाई हैं.

यूपी के चर्चित शहरों में से एक झांसी की 91 प्रतिशत आबादी हिंदू और सात प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम है. पिछले लोकसभा चुनाव में 19,32,052 वोटरों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 53 प्रतिशत पुरुष और 46 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं. यहां जातियां अहम रोल अदा कर सकती है. महागठबंधन की नजर यादव, मुस्लिम, अहिरवार पर है, तो बीजेपी ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य, राजपूत लोध और कुशवाहा वोट पर नजर गड़ाए है. कांग्रेस ने भी कुशवाहा को उतारकर लोध और कुशवाहा वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है.

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