ज्योतिरादित्य सिंधिया के निशाने पर सोनिया – राहुल, इशारों में दे दी नसीहत

 
नई दिल्ली

ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार को नए दफ्तर पहुंचे। दीनदयााल उपाध्याय मार्ग स्थित भारतीय जनता पार्टी का दफ्तर। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें पार्टी की पर्ची थमाई तो उनका भारी मन चेहरे से झलक रहा था। जब बोलने लगे तो कांग्रेस के साथ 18 साल का नाता हावी था। एक ऐसी पार्टी जिसके सहारे युवा तुर्क ज्योतिरादित्य ने मध्य प्रदेश और देश में बदलाव का सपना देखा था। कभी राहुल गांधी की टोली के सशक्त सदस्य रहे सिंधिया कांग्रेस की दशा पर निराश और हताश दिखे। उन्होंने उन परिस्थितियों का जिक्र किया जिसके चलते उन्होंने बीजेपी का दामन थामने का फैसला किया। इशारों ही इशारों में ज्योतिरादित्य ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर वार किए।
सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस वास्तविकता से भटक चुकी है। पार्टी में नई सोंच और विचारधारा के लिए कोई जगह नहीं है। उनका सीधा हमला कांग्रेस के टॉप लीडरशिप पर था। नई सोंच से मतलब नई पौध से ही है जिसे पार्टी ने किनारा लगा दिया। उनका इशारा कांग्रेस में युवा नेतृत्व को अलग-थलग करने की ओर था। सिंधिया इस बात से भी निराश दिखे कि राहुल गांधी के रहते ऐसा हो रहा है। दरअसल मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पर संकट के बावजूद राहुल गांधी चुप रहे। ज्योतिरादित्य की बात सुनने या उन तक पहुंचने की कोई कोशिश नहीं की गई।

इसकी जड़ें तभी तैयार हो गई थी जब 2018 में शिवराज को हरा कांग्रेस भोपाल में सरकार बनाने जा रही थी। सोनिया – राहुल के साथ लगातार मीटिंग के बाद भी ज्योतिरादित्य को साइड कर कमलनाथ को एमपी की कमान सौंप दी गई। ज्योतिरादित्य सीधे तौर पर राहुल गांधी की विफलता और विवशता दोनों की कहानी बयान कर रहे थे।

इसकी पुष्टि राहुल गांधी की प्रतिक्रिया से भी होती है। वो ज्योतिरादित्य को ऐसा दोस्त बताते हैं जो बिना पूछे उनके घर में कभी भी आ सकते हैं। राहुल ने सिंधिया के साथ कॉले में बिताए दिन भी याद किए लेकिन दोस्ती बनाए रखने के लिए क्या किया, इस पर कुछ नहीं बोले

कमलनाथ सरकार में भ्रष्टाचार एक उद्योग
उन्होंने कहा, आज जनसेवा के लक्ष्य की पूर्ति उस संगठन के माध्यमन से नहीं हो पा रही है। इसके अतिरिक्त वर्तमान में जो स्थिति कांग्रेस में है, वो पहले से बिल्कुल अलग है। वास्तविकता से इनकार करना, नई सोंच विचारधारा को मान्यता न मिलना ये दो मुख्य कमियां हैं। इस वातावरण में जहां राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का बुरा हाल है वहां मध्य प्रदेश में एक सपना पिरोया था जब 2018 में वहां सरकार बनी थी, 18 महीने में सपने बिखर गए। किसानों की बात करें जहां कहा गया 10 दिन में कर्ज माफ करेंगे, 18 महीने बाद भी नहीं हो पाया। पिछले फसल का बीमा नहीं मिला। मंदसौर कांड के बाद जो सत्याग्रह छेड़ा था वो अधूरा रहा। किसानों के खिलाफ मुकदमें चल रहे हैं। नौजवान बेबस है। रोजगार के अवसर नहीं। वचनपत्र में कहा गया हर महीने अलाउंस दिया जाएगा, उसकी सुध नहीं।

उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृह मंत्री अमित शाह का धन्यवाद देते हुए कहा कि वो अब अपने अधूरे सपने करोड़ों बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ मिल कर पूरे करेंगे। उन्होंने अपने पिता माधवराव सिंधिया को याद करते हुए कहा, मेरे जीवन में दो तारीखें बहुत अहम रही। व्यक्ति के जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं जो व्यक्ति के जीवन को बदल के रख देते हैं। 30 सितंबर 2001 जिस दिन मेरे पिता जी का निधन हुआ। एक जीवन बदलने का दिन था। दूसरी तारीख 10 मार्च, 2020 जो उनकी 75वीं वर्षगांठ थी। जहां जीवन में नई परिकल्पना , नया मोड़ का सामना करके एक निर्णय मैंने लिया है। मैंने सदैव माना है कि हमारा लक्ष्य भारत मां में जनसेवा होना चाहिए। राजनीति केवल उस लक्ष्य की पूर्ति का माध्यम होना चाहिए। मेरे पूज्य पिताजी ने और पिछले 18 -19 वर्षों में जो समय मुझे मिला है, उसमें पूरी श्रद्धा के साथ प्रदेश और देश की सेवा करने की कोशिश की।

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