जेनरेशन गैप, स्मृति की सक्रियता, राहुल के काम में कमी से जीतीं स्मृति

 
अमेठी 

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अमेठी के लोगों के लिए एक 'नई सुबह' का आगाज हुआ है। गांधी परिवार का गढ़ रहे अमेठी में अब भगवा झंडे लहराने लगे हैं। स्थानीय लोगों ने ऐसे चुनाव परिणाम के बारे में सोचा तक नहीं था। 
 
बीजेपी की स्मृति इरानी ने कांग्रेस परिवार का गढ़ रही अमेठी सीट से राहुल गांधी को परास्त कर दिया। इस परिणाम से जहां चुनाव विश्लेषकों के पसीने छूट गए, तो वहीं कई लोगों को इससे हैरानी नहीं हुई। लोकल लेवल पर ज्यादातर लोग राहुल गांधी से खुश नहीं थे। लोगों का मानना है कि वे केवल अपने पिता राजीव गांधी के किए गए काम को ही भुनाते आ रहे थे। 

'पिता के किए कामों को ही भुनाते आ रहे थे राहुल गांधी' 
दुकान चलाने वाली सुशीला शुक्ला ने बताया, 'मैं राहुल गांधी को वोट देने वाली अपने परिवार की इकलौती सदस्य थी। राहुल यहां पर किसी भी तरह का विकास करा पाने में असफल रहे हैं। वह अपने पिता राजीव गांधी के किए गए कामों पर ही जीतते आ रहे थे।' 

मुंशीगंज में संजय गांधी हॉस्पिटल के बगल में ही दुकान चलाने वाले एक दुकानदार ने कहा, 'राहुल गांधी को एक सबक सिखाए जाने की जरूरत थी। 2 या 3 हजार वोटों के अंतर से जीतना उनके लिए चिंता की बात होनी चाहिए थी। हालांकि हमने यह नहीं सोचा था कि वह हार जाएंगे, लेकिन सच यह भी है कि उनके खिलाफ भावनाएं बहुत अधिक थी।' 

जेनरेशन गैप: पुराने लोगों में कांग्रेस, युवाओं में बीजेपी का क्रेज 
अमेठी में पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता में जेनरेशन गैप की भूमिका भी साफ दिखती है। एक तरफ जहां कांग्रेस पुरानी पीढ़ी के लोगों की पसंद बनी हुई है, तो वहीं युवाओं में बीजेपी को लेकर क्रेज है। युवा स्मृति इरानी और बीजेपी की जीत पर खुशी जाहिर करते हैं। 

हार के बावजूद भी लगातार सक्रिय रहीं स्मृति इरानी 
हालांकि कांग्रेस को पसंद करने वाले पुरानी पीढ़ी के लोगों में अधिकतर का यह भी कहना है कि राहुल गांधी को अधिक मेहनत करनी चाहिए थी। सराय भगौनी के निवासी रामलाल यादव ने कहा, 'अगर स्मृति इरानी यहां पर कड़ी मेहनत करती हैं तो कोई वजह नहीं है कि उन्हें आगे यहां से हारना चाहिए।' स्मृति को पसंद करने की एक और वजह यहां पर यह भी है कि वह पिछले लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद भी यहां सक्रिय रहीं और पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहीं। 

गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बावजूद केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने 2019 में एक बार फिर राहुल गांधी को टक्कर देने की ठानी और गांधी परिवार के 50 साल पुराने गढ़ को जीत लिया। कांग्रेस के किसी राष्ट्रीय अध्यक्ष को हराने वाली वह पहली बीजेपी कैंडिडेट हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को स्मृति इरानी ने 55,120 वोटों से करारी शिकस्त दी है। 

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