जेट की बोली लगाने वालों ने खींचे हाथ, कंपनी के जल्द रिवाइवल की टूटी उम्मीद

मुंबई
जेट एयरवेज के लिए जिन लोगों ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई यानी अभिरुचि पत्र) सौंपा था, वे उसके बाद से हाथ पर हाथ रखकर बैठे हैं। इससे एयरलाइन कंपनी के जल्द रिवाइवल की उम्मीद टूट गई है। कंपनी के लिए अंतिम बोली सौंपने की डेडलाइन में सिर्फ 10 दिन बचे हैं। कंपनी के लिए चार योग्य निवेशकों में से तीन यानी एतिहाद एयरवेज, टीपीजी कैपिटल और इंडिगो पार्टनर्स ने अब तक नॉन-डिस्क्लोजर अग्रीमेंट साइन नहीं किए हैं। 

इस अग्रीमेंट पर साइन करने के बाद ही निवेशकों को कंपनी का बही-खाते देखने दिया जाता है। नैशनल इन्वेस्टमेंट ऐंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एनआईआईएफ) को छोड़कर किसी भी निवेशक ने डेटा रूम में अपनी टीम नहीं भेजी है, जहां संभावित निवेशकों को जेट के बही-खाते और जरूरी दस्तावेजों की पड़ताल करनी थी। उनके पास 10 मई तक कंपनी के लिए अंतिम बोली सौंपने का वक्त है, लेकिन किसी को इसकी उम्मीद नहीं दिख रही है। 

जेट को कर्ज देने वाले बैंकों में से एक के अधिकारी ने बताया, 'लगता है कि कंपनी के लिए मर्सिया पढ़ना होगा।' इकनॉमिक टाइम्स ने 23 अप्रैल को खबर दी थी कि सरकार के जेट के प्लेन और स्लॉट दूसरी कंपनियों को देने की शुरुआत करने के बाद निवेशकों की रुचि घटी है। केंद्र के इस कदम की आलोचना भी हुई थी। वैसे निवेशकों ने जेट को खरीदने के लिए मुश्किल शर्तें भी रखी हैं। वे बैंकों से कंपनी का 80 पर्सेंट कर्ज माफ करने को कह रहे हैं। उन्होंने लीजिंग कॉन्ट्रैक्ट्स की शर्तों में बदलाव की बात भी कही है। लगता है कि इनमें से उनकी कोई बात नहीं मानी गई। 

इस बीच, जेट का मैनेजमेंट देश के बड़े कारोबारी समूहों से मिलकर निवेश की अपील कर रहा है। दो सूत्रों ने बताया कि यह उनकी तरफ से कंपनी को बचाने की आखिरी कोशिश है। पिछले दो हफ्तों में जेट के सीईओ विनय दूबे, फाइनैंस चीफ और चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिसर राजेश प्रसाद ने महिंद्रा, अडानी, टाटा और रिलायंस इंडस्ट्रीज के सीनियर एग्जिक्युटिव्स से मुलाकात की है। उन्होंने जेट का कामकाज 50 प्लेन से फिर से शुरू करने का प्लान तैयार किया है। दोनों सूत्रों ने बताया कि उनके प्लान पर किसी भी बिजनस समूह ने पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं दिया है। 

इंडिगो और टीपीजी ने इस खबर के लिए प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। एतिहाद और एनआईआईएफ से भी पूछे गए सवालों के जवाब नहीं मिले। टाटा संस ने भी इस बारे में कुछ नहीं कहा। अडानी के प्रवक्ता ने जेट से बातचीत की खबर को गलत बताया। महिंद्रा और रिलायंस ने भी पूछे गए सवालों के जवाब नहीं दिए और ना ही जेट से जवाब मिला। 

देश की सबसे पुरानी निजी एयरलाइंस ने 17 अप्रैल को सारी उड़ानें फंड खत्म होने की वजह से बंद कर दी थीं। इससे 18 हजार से अधिक कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक गया है। कंपनी के प्लेन को डीरजिस्टर करके प्रतिद्वंद्वियों को दे दिया गया। दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर उसके फ्लाइट स्लॉट्स भी अन्य एयरलाइंस को दिए जा रहे हैं। 

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