जिस सीट पर बेटे चुनाव लड़े, 39 साल पहले इनके पिता थे आमने-सामने

ग्वालियर 
ग्वालियर लोकसभा सीट पर 39 साल बाद फिर से इतिहास दोहराया गया. बीजेपी के विवेक शेजवलकर ने कांग्रेस के अशोक सिंह को शिकस्त दी है, 1980 के चुनाव में इन दोनों प्रत्याशियों के पिताओं में मुकाबला हो चुका है. दोनों बार शेजवलकर परिवार ने चुनाव जीता. चुनावी घमासान के बावजूद दोनों परिवारों में कभी खटास नही आई.

ग्वालियर सीट का मुकाबला बेहद खास रहा. लोकसभा चुनाव में 39 साल के अंतराल के बाद दो परिवार फिर आमने सामने उतरे थे. 1980 में भारतीय जनता पार्टी ने अपने तत्कालीन सांसद नारायण कृष्ण शेजवलकर को मैदान में उतारा तो कांग्रेस ने पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह को टिकट दिया था. इंदिरा गांधी खुद राजेन्द्र सिंह का प्रचार करने आईं थीं, बावजूद इसके राजेन्द्र सिंह 25 हजार मतों से हार गए थे.

अब 39 साल बाद नारायण कृष्ण शेजवलकर के पुत्र विवेक शेजवलकर को भाजपा ने मैदान में उतारा तो कांग्रेस ने स्वर्गीय राजेन्द्र सिंह के बेटे अशोक सिंह पर दांव लगाया. इस तरह ग्वालियर ने 39 साल बाद इतिहास दोहरा दिया. बीजेपी प्रत्याशी विवेक शेजवलकर ने कांग्रेस के अशोक सिंह को करीब डेढ़ लाख वोट से हराया.

शेजवलकर का कहना है इस बार दोनों परिवारों की दूसरी पीढ़ियां आमने-समाने थीं. लेकिन चुनाव होने के साथ हमारी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा खत्म हो गयी. अशोक सिंह से हमारा पारिवारिक रिश्ता हमेशा कायम रहेगा.

कांग्रेस प्रत्याशी अशोक सिंह भी मानते हैं कि भले ही विवेक शेजवलकर उनके खिलाफ लड़े, लेकिन शेजवलकर परिवार से उनके परिवार के पिछली तीन पीढ़ियों से रिश्ते हैं. हम लोग एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं लेकिन हमारे संबंधों में कभी खटास नहीं आयी. विवेक शेजवलकर बड़े भाई की तरह हैं.

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