जाने किन लोगों को टीबी का खतरा ज्‍यादा रहता हैं, ये लोग रहें सर्तक‍

एक समय में टीबी किसी लाइलाज बीमारी से कम नहीं थी लेकिन आज इस खतरनाक बीमारी का इलाज संभव हो गया हैं। हालांकि, टीबी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। अगर समय रहते इसका पता न चले और इलाज नहीं कराया जाए तो ये जानलेवा भी हो सकता है। टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस के बैक्टीरिया फेफड़ों को प्रभावित करते हैं, जिससे व्यक्ति को सांस से संबंधित कई गंभीर समस्याएं होती हैं। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि इस बीमारी से किन लोगों को ज्यादा खतरा हो सकता है।

कमजोर इम्‍यून सिस्‍टम वालें
ट्यूबरकोलॉसिस का बैक्टीरिया आसानी से उन लोगों को प्रभावित कर सकता है जिन लोगों का इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर होता हैं। आम सर्दी या फ्लू की तरह इसका बैक्टीरिया खांसने, छींकने या बात करने के दौरान हवा में फैलता है। यदि टीबी से प्रभावित व्यक्ति के पास ज्यादा समय तक रहा जाए तो बैक्टीरिया बॉडी को इंफेक्ट करते हुए स्वस्थ्य व्यक्ति को भी अपनी चपेट में ले लेगा। टीबी के बैक्टीरिया तुरंत शरीर को इंफेक्ट नहीं करते जब स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के नजदीक ज्यादा देर तक रहता है, तभी ये बैक्टीरिया काम करते हैं। जिन लोगों का इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर होता हैं। वो लोग जल्‍दी इंफेक्‍ट होते हैं।

बच्‍चों को हो सकता है जल्‍दी
बच्चों के भी टीबी की चपेट में आने का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि छोटी उम्र में इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं होता है। ऐसे में बच्‍चों का इंफेक्‍ट होने का खतरा ज्‍यादा रहता हैं।
 

एचआईवी से पीड़ित
जो लोग एचआईवी से पीड़ित हैं वे भी टीबी के बैक्टीरिया के आसान शिकार होते हैं। एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है जिससे उसके शरीर को बीमारियों से लड़ने में परेशानी होती है।

हॉस्पिटल में काम करने वाले भी रहे सर्त‍क
हॉस्पिटल में भी काम करने वालों का इस बीमारी की चपेट में आने का खतरा ज्यादा होता है। उन्हें टीबी से प्रभावित मरीजों के इलाज के लिए उनके आसपास रहना पड़ता है, जरा सी लापरवाही से बैक्टीरिया उनके शरीर में प्रवेश हो सकते हैं।

 

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