जांघों पर जमी जिद्दी चर्बी से है परेशान, इस आसान से योगासन से हटाएं

ज्‍यादात्तर महिलाओं का फैट जांघों पर जमा होता है। ये फैट बहुत जिद्दी होते हैं। उम्र बढ़ने के साथ ही और दूसरे कई फैक्‍टर्स की वजह से लोअर एब्‍डोमन और जांघों पर चर्बी जमना शुरू हो जाती है। जिम में घंटों मशक्‍कत करने के बाद भी आसानी से ये चर्बी नहीं जाती हैं। ऐसे में जांघों को फिर से शेप में लाना मुश्किल होता है।

लेकिन योग के माध्‍यम से भी आप अपनी जांघों को फिर से सुडौल बना सकते हैं। अर्ध चंद्रासन के माध्‍यम से आप जांघों और लोअर बैक टोन करके खूबसूरत शेप पा सकती हैं। आइए जानते है इस आसन के बारे में।

कैसे करें अर्ध चंद्रासन

  • सबसे पहले दोनों पैरों की एड़ी-पंजों को मिलाकर खड़े हो जाएं। दोनों हाथ कमर से सटे हुए गर्दन सीधी और नजरें सामने।
  • अब दोनों पैरों को लगभग एक से डेढ़ फिट दूर रखें। मेरुदंड सीधा रखें। इसके बाद दाएं हाथ को उपर उठाते हुए कंधे के समानांतर लाएं फिर हथेली को आसमान की ओर करें।
  • अब उसी हाथ को और उपर उठाते हुए कान से सटा देंगे। इस दौरान ध्यान रहे की बायां हाथ आपकी कमर से ही सटा रहे।
  • फिर दाएं हाथ को उपर सीधा कान और सिर से सटा हुआ रखते हुए ही कमर से बाईं ओर झुकते जाएं। इस दौरान आपका बायां हाथ अपने आप ही नीचे खसकता जायेगा।
  • ध्यान रहे कि बाएं हाथ की हथेली बाएं पैर से अलग न हटने पाए। जहां तक हो सके बाईं ओर झुकें और इस अर्ध चंद्र की स्थिति में 30-40 सेकंड तक रुकें।
  • वापस आने के लिए धीरे-धीरे दोबारा सीधे खड़े हो जाएं। फिर कान और सिर से सटे हुए हाथ को उसी तरह कंधे के समानांतर ले आएं। फिर हथेली को भूमि की ओर करते हुए हाथ को कमर से सटा लें।
  • यह दाएं हाथ से बाईं ओर झुककर किए गए अर्ध चंद्रासन की पहली आवृत्ति हैं। अब इसी आसन को बाएं हाथ से दाईं ओर झुकते हुए करें। इसके बाद फि‍र से रिलैक्‍स पोजीशन यानी विश्राम की अवस्था में आ जाएं।
  • एक बार में अर्ध चंद्रासन के 4 से 5 सेट करें। अभ्‍यास होने पर धीरे-धीरे बढ़ा सकती हैं।

जांघों की चर्बी करें कम
जो लोग जांघों में जमी चर्बी से परेशान हैं उनके ल‍िए तो यह आसन बहुत फायदेमंद हैं। इस आसन को करने से लोअर बैक एरिया और जांघें सुडौल बनती हैं। अतिरिक्त स्ट्रेच से पेट की चर्बी भी कम होगी और आपका शरीर मज़बूत बनेगा जांघों पर जमी चर्बी को कम करने का यह कारगर योगासन है।

स्‍त्री रोगों में फायदेमंद
इसके अलावा यह गर्भाशय और मूत्र नली से संबंधित स्‍त्री रोगों में विशेष रुप से लाभकारी होता है। यह आसन रक्त का संचार बढ़ाता है. महिलाओं के अंडाशय, गर्भाशय से संबंधित समस्याओं में अर्ध चंद्रासन विशेष लाभ देता है। यह आसन पूरे शरीर को लचीला बनाता है।

सांस संबंधी समस्‍याएं करें दूर
अर्ध चंद्रासन के अभ्यास से शरीर की सभी माँसपेशियाँ और जोड़ों में एक साथ खिंचाव आता है। खासकर छाती और गले में। जिन्हें सांस संबंधित तकलीफ़ है उन्हें अर्ध चंद्रासन ज़रूर करना चाहिए। इसके अलावा टांसिल, सर्दी-खाँसी में भी यह आसन लाभ देता है।

ध्यान रहें
अगर आप पाचन संबंधी समस्या से जूझ रहे हों, रीढ़ में चोट हो या उच्च रक्तचाप से ग्रसित हों तो यह आसन न करें। ब्‍लड प्रेशर वाले इस आसन को न करें। डायर‍िया से पीड़ित व्‍यक्ति इस आसन को न करें। अगर आपको कमजोरी की समस्‍या है तो इस आसन को नजरअंदाज करें।

 

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