जशपुर में बॉक्साइट खनन के विरोध में सामने आए आदिवासी

जशपुर
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में बॉक्साइट की 5 खदानें सरकार ने स्वीकृत की हैं, जिनमें से 5 खदानों के पट्टे देने की जानकारी मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में देने के बाद जिले में बाक्साइट खनन का विरोध फिर से तेज हो गया है. जशपुर के बगीचा इलाके में बॉक्साइट खदान शुरू करने को लेकर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. ग्रामीण आदिवासियों के साथ अब जनप्रतिनिधि भी बाक्साइड खदान के विरोध में सामने आ गए हैं.

जशपुर जिले के बगीचा क्षेत्र में बॉक्साइट की बड़ी खदान हैं, जिनकी खुदाई कर उद्योगों को बेचने की तैयारी लम्बे समय से चल रही है. इस इलाके के ग्रामीण जंगल और जमीन को बचाने के लिए विरोध करने लगे हैं. स्थानीय निवासी मधुसूदन भगत और शंकर गुप्ता का कहना है कि सरकार ने कई कम्पनियों को बॉक्साइट खनन करने के लिए जशपुर की जमीन दे दी है, लेकिन वो किसी भी हाल में जशपुर में बाक्साइड खनन नहीं होने देंगे.

आशियाना उजड़ने की चिंता
जशपुर जिले में हरे भरे जंगल हैं तो जमीन के नीचे बड़ी मात्रा में खनिज के भण्डार भी दबे पड़े हैं. इन खनिजों पर उद्योगपतियों की नजर है. अब यहां के आदिवासियों को अपने आशियाने उजड़ने की चिंता सताने लगी है. बाक्साइट खनन के विरोध में अब जनजातिय सुरक्षा मंच खुलकर सामने आ गया है. जनजातिय सुरक्षा मंच के संरक्षक और पूर्व मंत्री गणेशराम भगत ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए किसी भी हाल में जशपुर में खनन नही होने देने की बात कही है. उनका कहना है कि भले उनके प्राण चले जाएं, लेकिन वो जशपुर में किसी भी हाल में बाक्साइड खनन नही होने देंगे.

ग्राम सभा ही लेगी फैसला
जिले के प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत ने स्पष्ट कहा है कि खनन पर पूरा फैसला ग्राम सभा को होता है, अगर ग्राम सभा ने खनन कि अनुमति नही दी है तो किसी भी हाल में बॉक्साइट खनन होगा. वहीं केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने भी जनता के फैसले को सर्वोपरी बताया है. रेणुका सिंह का कहना है कि जनता अगर बॉक्साइड खनन का विरोध कर रही है तो बॉक्साइट खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी. वहीं अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय ने कहा कि जशपुर में खदान स्वीकृत किये जा रहे हैं, लेकिन जंगलों और पहाड़ो को नष्ट कर खदान खोलना बिल्कुल ठीक नहीं है.

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