जल शक्ति को बजटीय शक्ति मिलनी शुरू, सरकार का पेयजल योजनाओं पर जोर

नई दिल्ली    
मोदी सरकार-2 का जल क्षेत्र पर विशेष जोर रहेगा। नए बने जल शक्ति मंत्रालय में जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण के साथ पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय भी जोड़ा गया है। दोनों विभागों के मंत्रालय में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में तो कम बजट मिला है, लेकिन इस साल की शुरुआत में आए अंतरिम बजट की तुलना में यह 2000 करोड़ रुपये बढ़ा है। इस मंत्रालय की तमाम योजनाओं को सफल होने के लिए राज्यों के सहयोग की दरकार रहेगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को पेश अपने बजट में जल को काफी अहमियत दी है। चूंकि यह क्षेत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता वाला क्षेत्र है, इसलिए सरकार का जोर रहेगा। इसके केंद्र में जल संरक्षण, जल संभरण व हर घर को 2024 तक नल के जरिए पेयजल उपलब्ध कराना है।

यही वजह है कि इस साल के शुरुआत में सरकार के अंतरिम बजट में किए गए आवंटन की तुलना में इस बार दोनों विभागों के आवंटन में बढ़ोतरी की गई है। अंतरिम बजट की तुलना में जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण के बजट में 204 करोड़ और पेयजल व स्वच्छता विभाग में 1800 करोड़ का आवंटन बढ़ा है।

अंतरिम बजट की तुलना में इस बजट में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में 166 करोड़ रुपये, पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए 47 करोड़ व राज्य सरकारों को सहायता व अनुदान में 281 करोड़ रुपये बढ़ाए गए हैं। पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय को अंतरिम बजट में 20016 करोड़ का बजट आवंटन किया गया था, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 2340 करोड़ रुपये कम था। हालांकि सरकार ने अब पेयजल योजनाओं पर जोरे देने के कारण अंतरिम बजट के आवंटन में 1800 करोड़ की वृद्धि की गई है। इसमें ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम में 1400 करोड़ रुपये विश्व बैंक की सहायता में 400 करोड़ रुपये बढ़ाए गए हैं।

 

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