जलियांवाला बाग स्मारक बिल राज्यसभा से भी पास, कांग्रेस का प्रभुत्व होगा खत्म

 
नई दिल्ली 

संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक विधेयक, 2019 राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया. इस बिल के पास होने के साथ ही कांग्रेस के अध्यक्ष के न्यास के पदेन सदस्य होने का अधिकार भी समाप्त हो जाएगा. उनके स्थान पर लोकसभा में विपक्ष के नेता या फिर सबसे बड़े दल के नेता को सदस्य बनाया जाएगा.

राज्यसभा में विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि सरकार स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सभी शहीदों को सम्मान देने के लिए प्रतिबद्ध है. यह विधेयक इस दिशा में एक कदम है.

हालांकि विपक्ष ने इसकी आलोचना की. बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस ने कहा कि जलियांवाला बाग न्यास की स्थापना 1921 में की गई थी औ इसमें जनता ने भी आर्थिक रूप से सहयोग दिया था. 1951 में नए न्यास का गठन किया गया. इस न्यास में व्यक्ति विशेष को सदस्य बनाया गया और संवैधानिक पद पर बैठे किसी शख्स को शामिल नहीं किया गया.

5 साल के लिए मनोनीत
कांग्रेस सहित कई अन्य विपक्षी पार्टियों ने जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक विधेयक, 2019 पर चर्चा में भागीदारी की. राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम, 1951 के तहत प्रावधान था कि इसके न्यासी कांग्रेस प्रमुख होंगे. प्रावधान के अनुसार, केंद्र सरकार इस न्यास के लिए 3 न्यासियों को 5 साल के लिए मनोनीत करती है.

हालांकि बिल के पास होने के बाद केंद्र सरकार अब न्यासियों को बिना किसी कारण कार्यकाल पूरा होने से पहले हटा सकती है. इससे पहले संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने विधेयक पेश करते हुए कहा था जलियांवाला बाग जनसंहार के 100 साल बाद दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हर किसी को इस पर सहमति जतानी चाहिए और इसे पारित करना चाहिए. इस विधेयक को लोकसभा पहले ही 2 अगस्त को पारित कर चुकी है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *